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Last Modified: श्रीनगर , रविवार, 20 जुलाई 2025 (17:02 IST)

जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने में सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान को लेकर क्या बोले उमर अब्दुल्ला

Jammu and Kashmir
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि पाकिस्तान की ‘शत्रुतापूर्ण मंशा’ जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने में सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने इसी के साथ पाकिस्तान को आगाह किया कि अब भारत किसी भी आतंकवादी हमले को ‘‘युद्ध की कार्रवाई’’ के रूप में देखता है।
 
अब्दुल्ला ने को दिए एक इंटरव्यू में इस विमर्श को खारिज किया कि अनुच्छेद 370 को हटाना क्षेत्र में आतंकवाद का समाधान है। उन्होंने कहा कि हाल ही में पहलगाम में हुए हमले ने इस विमर्श को गलत साबित किया है। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले में 26 लोग मारे गए थे।
 
अब्दुल्ला ने कहा कि हम चाहे कुछ भी करें, अगर पाकिस्तान की मंशा शत्रुतापूर्ण है, तो हम कभी पूरी तरह से आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे। मुझे लगता है कि पहलगाम ने यह साबित कर दिया है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यह विमर्श प्रसारित करने की बहुत कोशिश की कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अनुच्छेद 370 का नतीजा है। हम जानते हैं कि यह सच नहीं है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद पाकिस्तान की मंशा का नतीजा है। इसीलिए अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नहीं रुका।’’
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि अब पाकिस्तान को आतंकवाद संबंधी अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना चाहिए। उन्होंने भारत के रुख में आए अहम बदलाव को रेखांकित करते हुए चेतावनी दी कि भारत सरकार ने आक्रामकता पर जवाबी कार्रवाई के लिए ‘‘बहुत सख्त मानदंड’’ तय किए हैं।
 
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान को यह समझाना है कि इस तरह की गतिविधियां हमारे लिए तो नुकसानदायक हैं ही, साथ ही उसके लिए भी घातक हैं।’’
 
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब भारत सरकार ने सख्त मानदंड तय किया है कि किसी भी हमले को युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा, उसे देखते हुए पाकिस्तान को इस बात पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि क्या वह अपने पड़ोस को युद्ध में धकेलना चाहता है।’’
 
अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा पहलगाम हमले में ‘‘सुरक्षा और खुफिया विफलता’’ की बात स्वीकार किए जाने को पहला सकारात्मक कदम बताया।
 
मुख्यमंत्री ने हालांकि कहा कि यह ‘‘काफी नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘26 लोग मारे गए। 26 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। चूक कहां हुई? इस पहलगाम की घटना ने दो देशों, दो परमाणु शक्तियों को युद्ध के लिए उकसाया।’’
 
अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पहले कदम के तौर पर, यह सराहनीय है कि उपराज्यपाल (मनोज सिन्हा) ने कहा है कि वह जिम्मेदार हैं। लेकिन कमान की श्रृंखला में जवाबदेही तय की जानी चाहिए, क्योंकि अब हम जानते हैं कि यह सुरक्षा और खुफिया चूक थी। अगला कदम जिम्मेदारी तय करना होगा। और फिर सजा मिलनी चाहिए।’’
 
मुख्यमंत्री से सवाल पूछा गया कि पहलगाम हमले के बाद क्या उनकी सरकार नाजुक स्थिति वाली शांति को पर्यटन को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता के साथ संतुलित कर सकती है? उन्होंने इसके जवाब में कहा, ‘‘हमें अपने बलों पर भरोसा करना होगा कि वे सही काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि पहलगाम के परिणामस्वरूप जो भी कमियां सामने आई हैं, उन्हें दूर किया जाए।’’
 
उन्होंने पर्यटन को पुनः शुरू करने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों पर जोर देते हुए कहा, ‘‘पर्यटन जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।’’ अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें बड़ी संख्या में नौकरियां हैं और यह एक ऐसा गंतव्य है जहां लोग वास्तव में आना चाहते हैं।
 
उन्होंने कहा कि हाल ही में पर्यटकों की धीरे-धीरे वापसी एक उत्साहजनक संकेत है। अब्दुल्ला ने कहा कि पर्यटकों को केंद्र शासित प्रदेश के प्रति आकर्षित करने के लिए देश भर में आयोजित कार्यक्रमों में उनकी सरकार के भाग लेने और उसके सक्रिय प्रयासों का प्रमाण है।
 
मुख्यमंत्री ने पर्यटन स्थलों की सुरक्षा जांच के बारे में कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि ऐसा किया जाना चाहिए, बल्कि किया जा रहा है... और धीरे-धीरे उन्हें फिर से खोला जाना शुरू हो गया है, और मुझे उम्मीद है कि अमरनाथ यात्रा के बाद, बंद पड़े अधिकतर अन्य स्थलों को भी फिर से खोल दिया जाएगा।’’
 
उन्होंने कहा कि इन पर्यटक स्थलों को बंद करना एक असामान्य बात था। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमारे यहां कभी पर्यटन स्थल बंद नहीं हुए। यहां तक कि सबसे बुरे दिनों में भी, पर्यटन स्थल बंद नहीं हुए।’’
 
उन्होंने एक स्पष्ट विकल्प प्रस्तुत किया कि या तो स्थिति अब 10 या 15 साल पहले की तुलना में कहीं ज्यादा खराब है, जो उनके अनुसार सच नहीं है, या फिर सोच-समझकर फैसला लेने की जरूरत है।
 
अब्दुल्ला ने कहा कि यदि ऐसा नहीं है, तो हमें एक सुविचारित निर्णय लेने की आवश्यकता है तथा अमरनाथ यात्रा के बाद सभी बंद क्षेत्रों को पुनः खोलना शुरू करना होगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि सामान्य स्थिति की पूर्ण वापसी आवश्यक है तथा लंबे समय से अपेक्षित भी है। भाषा Edited by : Sudhir Sharma
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