Hathras case में नया मोड़, सवर्णों को चाहिए इंसाफ, परिवार पर 'ऑनर किलिंग' का आरोप
हुकूमत ऑक्टोपस से भी खतरनाक होती है और उसके हाथों की संख्या असीमित। हाथरस (Hathras case) में पुलिस ने दरिंदगी का शिकार हुई अबोध बच्ची का अंतिम संस्कार जबरन खुद ही कर दिया था, वहीं अब उसकी फोरेंसिक रिपोर्ट निगेटिव आई है, जो बात सरकारी मशीनरी पहले से कह रही थी कि गैंगरेप नहीं हुआ, वही फोरेंसिक रिपोर्ट भी कह रही है। फोरेंसिक रिपोर्ट आते ही स्थानीय सवर्णों ने इंसाफ दिलाने के लिए धरना शुरू करते हुए कहा है कि किसी बेकुसूर व्यक्ति के साथ नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश का जिला हाथरस इस समय सुर्खियों में है क्योंकि यहां हैवानियत का शिकार हुई युवती ने 29 सितंबर को एम्स में दम तोड़ दिया था। हाथरस जिले के थाना चंदपा कोतवाली क्षेत्र के गांव बालूगढ़ी में युवती के साथ 4 युवकों ने 14 सितंबर 2020 को सामूहिक दुष्कर्म किया।
इतना पर भी इन लोगों का मन नही भरा तो उन्होंने हैवानियत की शिकार युवती की जीभ काट दी, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। पीड़िता कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में लड़ती रही लेकिन वह अंत में अपनी जिंदगी की जंग हार गई।
दिल्ली सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ने के पीड़ित परिवार के साथ प्रदेश ही नहीं पूरा देश पीड़ित परिवार के खड़ा हुआ। इस मामले में राजनीति सरगर्मी भी बढ गई। आज इस मामले में एक नया मोड़ उस आ गया, जब युवती की फोरेंसिक टेस्ट रिपोर्ट भी निगेटिव आ गई, यानी मृतका के साथ बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। मेडिकल रिपोर्ट और फोरेंसिक रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अब गांव में स्वर्ण समाज के लोग आरोपित परिवार को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठ गए।
स्वर्ण समाज के लोगों का कहना है कि बेटी तो बेटी होती है, चाहे व दलित की हो, स्वर्ण जाति या किसी भी मजहब की। धरने में शामिल लोगों का कहना है कि एसआईटी जांच निष्पक्ष रूप से हो। यदि हमारे समाज का बच्चा दोषी हैं तो उन्हें सजा जरूर दी जाए, लेकिन किसी निर्दोष को नही फंसना चाहिए।
मृतका से दुष्कर्म की पुष्टि नही होने के बाद इस कहानी में एक नया मोड़ आ गया। धरने पर बैठे लोगों ने दबी जुबान में कहा कि इस बेटी के साथ इस तरह का कृत्य परिवार ने किया है, वहीं लोगों का यह कहना है कि पीड़िता के भाई ने ये सब किया है। अब परिवार पर 'ऑनर किलिंग' का आरोप लग रहा है तो सघनता से इस तथ्य की जांच होनी चाहिए।