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Last Modified: सोमवार, 2 जनवरी 2023 (19:59 IST)

Malegaon Blast Case : बॉम्बे HC से पुरोहित को झटका, खारिज की गई आरोपमुक्त करने की याचिका

Malegaon Blast Case : बॉम्बे HC से पुरोहित को झटका, खारिज की गई आरोपमुक्त करने की याचिका - Malegaon blasts case: Bombay HC rejects Colonel Purohits discharge plea
मुंबई। Malegaon Blast Case News : बंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को सितंबर मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को आरोप मुक्त करने की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि बम धमाके की घटना में संलिप्तता के दौरान वे सरकारी कार्य नहीं कर रहे थे। इस धमाके में 6 लोगों की जान गई थी।
 
न्यायमूर्ति एएस अधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाश नाइक की पीठ ने 24 पन्नों के आदेश में सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के अभाव में मामला नहीं चल सकने के आधार पर आरोप मुक्त करने की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वे आरोपी के इस तर्क को स्वीकार नहीं करती कि वे अपनी ड्यूटी कर रहे थे और तब सवाल उठता है कि उन्होंने क्यों धमाके को रोकने की कोशिश नहीं की।
 
सितंबर 2008 में हुए विस्फोट के मामले में पुरोहित और भाजपा की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत 6 अन्य आरोपी कठोर गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
 
पुरोहित की वकील नीला गोखले ने कहा कि जिस दिन कथित अपराध हुआ उस दिन वह सरकारी अधिकारी थे और कानूनी तरीके से अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे; इसलिए अभियोजक एजेंसी को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सक्षम प्राधिकार से अनुमति लेनी चाहिए।
 
अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता का तर्क है कि उसे ‘अभिनव भारत’ की जानकारी एकत्र करने का सरकारी कार्य दिया गया था,अगर उसे मान भी लिया जाए तो सवाल उठता है कि क्यों नहीं उन्होंने मालेगांव के असैन्य क्षेत्र में धमाके को रोकने की कोशिश की, जिसकी वजह से छह निर्दोष लोगों की जान गई और करीब 100 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
 
फैसले में कहा गया कि बम धमाके जैसी गतिविधि में संलिप्त होना जिसमें 6 लोगों की जान गई, पुरोहित द्वारा किया गया सरकारी कार्य नहीं है। 
 
अदालत ने कहा कि अभियोजन द्वारा जमा दस्तावेज स्पष्ट तौर पर संकेत देते हैं कि पुरोहित को कभी सरकार की ओर से सेना के सशस्त्र बल में काम करने के बावजूद अभिनव भारत में काम करने की अनुमति नहीं दी गई थी।
 
पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता (पुरोहित) को कथित संगठन के लिए कोष जमा करने और उसकी गैर कानूनी गतिविधियों के लिए हथियार व विस्फोटक खरीदने के लिए उक्त धन वितरित करने की भी अनुमति नहीं दी गई थी। मौजूदा अपराध में अपीलकर्ता मुख्य साजिशकर्ता है। 
 
अदालत ने कहा कि पुरोहित ने सक्रिय रूप से अन्य आरोपियों के साथ हिस्सा लिया और गैर कानूनी गतिविधि की आपराधिक साजिश रचने के लिए बैठकें आयोजित कीं।
 
सेवारत सैन्य अधिकारी पुरोहित ने इस आधार पर आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था कि उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश पर अभिनव भारत की बैठकों में हिस्सा लिया जिसमें मालेगांव धमाके की साजिश रची गई थी।
 
हालांकि हाईकोर्ट ने पुरोहित की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए कथित अपराध का उनके सरकारी कर्तव्य से कोई लेना-देना नहीं है।
 
29 सितंबर 2008 को मालेगांव में मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक में हुए धमाके से 6 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 अन्य लोग घायल हुए थे। महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित मालेगांव सांप्रादायिक रूप से संवेदनशील शहर है। 
 
महाराष्ट्र पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक हमले में इस्तेमाल मोटरसाइकल ठाकुर के नाम रजिस्टर्ड थी। इसके आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई। इस मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अपने हाथ में ली और इस समय सभी आरोपी जमानत पर हैं। भाषा Edited by Sudhir Sharma
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