टीकमगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज
टीकमगढ़। मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिला मुख्यालय पर मंगलवार कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को लाठियां भांजने के साथ ही अश्रु गैस का सहारा लेना पडा। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस वजह से तीन दर्जन से अधिक कार्यकर्ता घायल हुए हैं। जबकि पुलिस प्रशासन का कहना है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से पथराव के कारण चार पांच पुलिस कर्मचारी घायल हुए हैं।
बुंदेलखंड अंचल के प्रमुख शहर टीकमगढ़ में विधानसभा में विपक्ष के नेता अजय सिंह की अगुवायी में खेत बचाओ किसान बचाओ आंदोलन किया गया। श्री सिंह इसे संबोधित करने के बाद यहां से रवाना हो गए, वहीं कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिलने उनके कार्यालय पहुंचा। इसी दौरान किसानों संबंधी विभिन्न मांगों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए और उनका सुरक्षा के लिए तैनात पुलिस कर्मचारियों से विवाद हो गया।
इस दौरान भीड बेरीकेट्स की ओर बढ़ रही थी, जबकि पुलिस जवान और अधिकारी उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे। इसके बाद पुलिस ने वॉटर कैनन का उपयोग किया। स्थिति नियंत्रित नहीं होने पर लाठियां भांजनी पडीं और फिर अश्रु गैस का भी उपयोग करना पडा। इस दौरान कथित तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से पथराव भी किया गया। इस घटना के बाद पुलिस ने अनेक कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया है।
इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव और विपक्ष के नेता अजय सिंह ने टीकमगढ़ में कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए आरोप लगाया है कि अब राज्य सरकार दमन की नीति पर उतर आई है। यादव ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस लाठीचार्ज से साबित हो गया है कि राज्य सरकार किसान विरोधी है और यही इसका वास्तविक चरित्र है।
आने वाले दिनों में राज्य सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पडेगा, वहीं सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को यह रास नहीं आ रहा है किसान अपने हकों के लिए सडक पर उतर रहे हैं। इसके पहले अजय सिंह ने आंदोलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य के 51 में से आधे से अधिक जिले भयावह सूखे की चपेट में हैं और सरकार एक भी जिला तथा तहसील को सूखाग्रस्त घोषित नहीं कर पाई है।
उन्होंने कहा कि राज्य की शिवराजसिंह चौहान सरकार किसानों की हितैषी बनने का दावा करती है, लेकिन उसके कार्य इसके विपरीत हैं। उन्होंने किसानों और पार्टी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन करें। (वार्ता)