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  4. In the Satyendra Jain case, the High Court gave this order to the Delhi Government
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Last Updated : बुधवार, 27 जुलाई 2022 (23:46 IST)

सत्येंद्र जैन मंत्री रहेंगे या नहीं, हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को दिया यह आदेश...

Satyendra Jain
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मंत्रिमंडल से निलंबित करने के अनुरोध संबंधी याचिका बुधवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि यह मुख्यमंत्री को विचार करना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को मंत्री के रूप में बनाए रखना चाहिए या नहीं?

उच्च न्यायालय ने कहा कि शपथ भंग करने वाले व्यक्ति को हटाने के लिए राज्यपाल या मुख्यमंत्री को निर्देश देना अदालत का काम नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत का यह कर्तव्य है कि वह इन प्रमुख कर्तव्य धारकों को संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने, संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए उनकी भूमिका के बारे में याद दिलाए।

न्यायालय ने कहा कि मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल के सदस्यों को चुनने और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति से संबंधित नीति तैयार करने में अपने विवेक का प्रयोग करते हैं।

मुख्य न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, भारत के संविधान की अखंडता को बनाए रखने के लिए मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी है और इस बात पर मुख्यमंत्री को विचार करना है कि क्या कोई व्यक्ति जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है या उन पर नैतिक पतन से जुड़े अपराधों का आरोप लगाया गया है, उन्हें नियुक्त किया जाना चाहिए और उन्हें मंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं।

पीठ ने भारतीय संविधान के जनक डॉ. बीआर आंबेडकर के एक बयान का हवाला देते हुए कहा, सुशासन केवल अच्छे लोगों के हाथ में होता है। भले ही अदालत अच्छे या बुरे के फैसले में नहीं पड़ सकती, लेकिन यह निश्चित रूप से संवैधानिक पदाधिकारियों को हमारे संविधान के लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की याद दिला सकती है। ऐसी धारणा है कि मुख्यमंत्री को ऐसे संवैधानिक सिद्धांतों से अच्छी सलाह और मार्गदर्शन मिलेगा।

पीठ ने कहा, यह अदालत पूरी तरह से डॉ. बीआर आंबेडकर की टिप्पणियों से सहमत है और उम्मीद करती है कि मुख्यमंत्री लोगों का नेतृत्व करने के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति करते समय लोकतंत्र की नींव रखने वाले विश्वास को कायम रखते हैं।

अदालत का यह फैसला भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक नंदकिशोर गर्ग की उस याचिका को खारिज करते हुए आया है जिसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद 30 मई से हिरासत में चल रहे दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को निलंबित करने का अनुरोध किया गया था।

याचिकाकर्ता ने पहले कहा था कि जैन को कोलकाता की एक कंपनी के साथ 2015-2016 में हवाला लेनदेन में संलिप्तता के लिए धनशोधन के मामले में गिरफ्तार किया गया, जो कानून के प्रतिकूल है, क्योंकि वह एक सार्वजनिक सेवक हैं, जिन्होंने जनहित में कानून का राज बनाए रखने की संवैधानिक शपथ ली है।

याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा परिदृश्य सार्वजनिक सेवक पर लागू कानून के प्रावधान के विपरीत है, जिन्हें केंद्रीय सिविल सेवा नियमावली, 1965 के नियम 10 के अनुसार 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहने के बाद तत्काल निलंबित माना जाना चाहिए।(भाषा)