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Last Modified: रविवार, 25 जून 2017 (00:18 IST)

चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य ठहराया

चुनाव आयोग ने नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य ठहराया - Election Commission, Narottam Mishra
नई दिल्ली/ भोपाल। चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को पेड न्यूज आरोपों को लेकर तीन वर्ष के लिए अयोग्य ठहरा दिया है और उन्हें 2008 के विधानसभा चुनाव में हुए खर्चों का सही ब्योरा नहीं देने का दोषी बताया। आयोग ने कैबिनेट मंत्री मिश्रा के खिलाफ एक शिकायत पर उन्हें तीन वर्ष के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराने के बाद पेड न्यूज के खिलाफ कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। 
 
आयोग ने इसे 'कैंसरकारी बुराई' जैसा करार दिया जो चुनावी परिदृश्य में 'खतरनाक अनुपात' हासिल कर रहा है। इसके साथ ही दतिया विधानसभा सीट से उनका निर्वाचन भी रद्द हो गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी और चुनाव आयुक्तों एके जोती एवं ओपी रावत की चुनाव आयोग की एक पूर्ण पीठ ने मिश्र को अभ्यारोपित करने वाले अपने आदेश में उनका निर्वाचन जनप्रतिनिधि कानून की विभिन्न धाराओं के तहत अमान्य करार दिया। 69 पृष्ठों वाला आदेश कल जारी किया गया।
 
दतिया विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाले मिश्रा मध्यप्रदेश के जल संसाधन, जनसंपर्क मंत्री के साथ ही शिवराजसिंह चौहान सरकार के मुख्य प्रवक्ता हैं। मामले के मुख्य शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती ने सबसे पहले शिकायत करीब 8 वर्ष पहले 2009 में चुनाव आयोग को भेजी थी।
 
आदेश में कहा गया है कि पांच हिंदी दैनिक समाचार-पत्रों में आई 42 समाचार सामग्री मिश्र के पक्ष में 'अत्यंत पक्षपातपूर्ण' थीं। आयोग ने कहा कि उसकी जांच में इस निष्कर्ष को बल मिला कि मिश्र 'जानबूझकर' ऐसे विज्ञापनों से जुड़े या उस पर हुए खर्च का लाभ उठाया' जो प्रकाशनों में समाचार के तौर पर आया था। चुनाव आयोग के आदेश के बाद कांग्रेस की ओर से मिश्र के इस्तीफे की मांग उठी जबकि मंत्री ने कहा कि वे इसे मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती देंगे। उन्होंने अपने इस्तीफे की मांग खारिज कर दी। 

आयोग ने कहा कि आयोग यह पाता है कि इसको ध्यान में रखे बिना कि कथित खर्च प्रतिवादी के खाते में जोड़ने पर यह अनुमेय सीमा का उल्लंघन करता है या नहीं, तथ्य यह है कि प्रतिवादी ने जान-बूझकर खर्च का न केवल गलत ब्योरा जमा किया बल्कि खर्च पर विधिक रूप से निर्धारित सीमा का उल्लंघन करने का भी प्रयास किया। आदेश में कहा गया कि ऐसे प्रयासों पर कड़े कदमों से रोक लगाने और कड़े प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है जिससे चुनाव लड़ने में संतुलन बहाल हो सके। (भाषा)