शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By रूपाली बर्वे

Ground Report : पुणे में अब आ रही है Corona संक्रमितों की संख्या में गिरावट

Ground Report : पुणे में अब आ रही है Corona संक्रमितों की संख्या में गिरावट - Coronavirus Groud report from Pune
पिछले दिनों कोरोनावायरस (Coronavirus) संक्रमितों की संख्‍या में लगातार वृद्धि के चलते हा-हाकार मचा हुआ था। लेकिन, 11 अप्रैल के बाद से संक्रमितों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 8 अप्रैल को एक दिन में सर्वाधिक 7000 से ज्यादा मामले सामने आए थे, जबकि 26 अप्रैल को यह संख्या घटकर 2 हजार 538 पर आ गई है। 
 
यह राहत की बात है कि पुणे में कोरोना संक्रमितों की संख्‍या में लगातार कमी आ रही है। 15 दिन पूर्व की सर्वाधिक संख्या की तुलना में 4 हजार 472 की कमी आई है।  मार्च 2021 के बाद पुणे शहर में 8 अप्रैल को एक ही दिन में सर्वाधिक 7 हजार 10 नए कोरोना मरीज मिले थे। 
 
हालांकि पुणे जिले में 26 अप्रैल को 6 हजार 44 नए मरीज मिले हैं। इनमें पुणे शहर के पिंपरी चिंचवड़ से 1 हजार 293, जिला परिषद क्षेत्र से 1 हजार 884, नगर निगम क्षेत्र से 277 और कंटेंटमेंट बोर्ड क्षेत्र से 54 शामिल हैं। इस बीच, दिनभर में 8 हजार 823 मरीजों कोरोना मुक्त हुए वहीं 151 मरीजों की मौत हो गई, जबकि शहर में आज 56 मौतें हुई हैं।
 
खुले मैदानों में भी अंतिम संस्कार : पुणे में कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से बेड्स, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन की भारी कमी देखी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार पुणे जिले में संक्रमितों का आंकड़ा 7 लाख 96 हजार 645 तक पहुंच चुका है। 6 लाख 80 हजार 67 लोग कोरोना को मात दे चुके हैं। पुणे जिले में 9020 लोगों की मौत हो चुकी है। शहर में अभी 1 लाख 7 हजार 503 एक्टिव मरीज हैं।
पुणे जिले में अब तक 9020 लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ते मौतों के आंकड़ों को देखते हुए पुणे के लगभग सभी श्मशानों पर जगह की कमी हो रही है। ऐसे में खुले मैदानों में अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। लोगों को अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार न करना पड़े इसके लिए पुणे महानगर पालिका ने खुले मैदानों में अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया है।
 
श्मशानों में पिघल रहा है लोहा : शहर के शमशान केंद्रों पर काफी भार की वजह से विद्युत दाहसंस्कार मशीनों में खराबी आने की भी शिकायतें आ रही हैं। पिछले सप्ताह अतिरिक्त भार की वजह से गैस और बिजली वाले 11 केंद्र पर गड़बड़ी की शिकायत आई थी। पुणे के सभी 21 श्मशान घाटों पर लगातार लोड बना हुआ है। कुछ श्मशान घाटों में लगातार अंतिम संस्कार का काम किया जा रहा है। हालात यह हैं कि लगातार लाशों का अंतिम संस्कार होने की वजह से श्मशान भूमि में लोहे के सरिए पिघल गए। चिमनिया खराब हो रही हैं। दूसरी ओर, ओवर हीटिंग की वजह से तकनीकी खराबी ना आए इसके लिए इंजीनियरों की एक टीम भी तैनात की गई है।
 
पीएमसी के मुताबिक हर ‍दिन करीब 100 कोविड मौतें रिपोर्ट हो रही हैं। इसके अलावा 120 से अधिक लाशों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान भूमि में लाया जा रहा है। इनमें मृत्यु का कारण, दुर्घटना, अन्य बीमारियां या प्राकृतिक है। इस बीच, 4 अतिरिक्त विद्युत शवदाह केंद्र बनाने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं।
 
ऑक्सीजन संकट: पुणे जिला कलेक्टर राजेश देशमुख ने पुणे शहर और जिले में ऑक्सीजन की कमी के चलते आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य औद्योगिक कंपनियों में जंबो और छोटे सिलेंडर तुरंत जमा करने के आदेश दिए हैं। अन्य उद्देश्यों के लिए जंबो और छोटे सिलेंडर अवैध रूप से उपयोग किए जाने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। 
 
जिले में ऑक्सीजन उत्पादकों, आपूर्ति वितरण और रिफिलर्स को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले उद्योग और इन उद्योगों से संबंधित अन्य उद्योगों को छोड़कर अप्रयुक्त जंबो सिलेंडरों और छोटे सिलेंडरों को एकत्र करने के लिए अधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है। जिला कलेक्टर देशमुख ने आदेश में स्पष्ट किया है कि औद्योगिक उपयोग सिलेंडरों को मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडर में बदलना अनिवार्य है।
पुणे में पुरुषों पर भारी कोरोना : पिछले एक साल से भी अधिक समय से कोरोना का साया मंडरा रहा है। ऐसे में नए-नए शोध भी सामने आ रहे हैं। ऐसे ही आंकड़े के अनुसार शोध में पता चला है कि कोरोना ने महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों पर ज्यादा असर ड़ाला है।
 
कोरोना की शुरुआत के एक साल बाद पुणे से ऐसे ही चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। पुणे में कोरोना महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए अधिक घातक साबित हुआ है। पिछले एक साल में कोरोना से मरने वालों में पुरुषों की संख्या 67 फीसदी के लगभग है। 
 
महाराष्ट्र में पहला कोरोना रोगी पुणे में पाया गया था। कोरोना की वजह से पहली मौत अप्रैल में हुई थी। अब एक साल हो गया है। पुणे में साल भर में यानी 20 अप्रैल तक, कुल 6,218 कोरोना रोगियों की मृत्यु हो गई। इसमें सबसे अधिक अनुपात पुरुषों का है। इसमें 4,137 पुरुष और 2081 महिलाएं हैं। प्रतिशत के हिसाब से 67 प्रतिशत पुरुषों और 33 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु कोरोना के कारण हुई है।
‍‍पिछले वर्ष अप्रैल के बाद बाद मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती गई। अक्टूबर 2021 से रोगियों की संख्या सहित मरने वालों की संख्या में कमी आई थी। जनवरी-फरवरी 2021 में यह आंकडा 10 के भीतर था, लेकिन मार्च से मरीजों की संख्या के साथ मौत का आंकड़ा बढ़ने लगा। अप्रैल 2021 में प्रतिदिन मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 से 100 हो गई।
 
टीकाकरण केन्द्रों पर भीड़ : करोना वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण केंद्रों पर भीड़भाड़ होती नजर आ रही है। केंद्र के कर्मचारी अब स्थानीय नागरिकों के साथ ही असामाजिक तत्वों की दादागिरी से भी परेशान हो रहे हैं। ऐसे तत्व धमकियां देते हैं कि टीका दो नहीं तो तोडफोड़ करेंगे। पहले से टीकों के अपर्याप्त स्टॉक के कारण, उन नागरिकों के लिए मुश्किल खड़ी हो रही है जो केंद्रों पर दूसरी खुराक के लिए आते हैं।
 
तथ्य यह है कि पिछले कुछ दिनों से टीकों की अपेक्षित आपूर्ति नहीं हो रही है। इसलिए कई केंद्रों में टीकाकरण की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। टीकों की अपर्याप्त आपूर्ति, पंजीकरण के बाद भी टीकाकरण नहीं होने से नागरिक परेशान हो रहे हैं। असामाजिक तत्व मुश्किलों को और बढ़ा रहे हैं। येरवडा, हडपसर, सहकारनगर, कोथरूड केंद्रों में इस प्रकार की घटनाएं लागतार बढ़ रही हैं। 
 
2.5 लाख प्रवासियों ने पुणे छोड़ा : दूसरी ओर, पुणे से लगभग ढाई लाख प्रवासी अब तक अपने घरों के लिए ट्रेनों से रवाना हो चुके हैं। इसमें मुख्य रूप से मजदूर और उनके परिवार शामिल हैं। उत्तर भारत की ओर जाने वाली ट्रेनों की बढ़ती मांग और प्रतीक्षा सूची को देखते हुए पुणे रेलवे द्वारा विशेष और अतिरिक्त ट्रेनों की योजना बनाई है। दरअसल, पुणे में कोरोना रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ती देख स्थानीय प्रशासन ने 1 अप्रैल से शहर और जिले में प्रतिबंध लगा दिए। इसलिए घर लौटने वालों की संख्या बढ़ती नजर आई। 
 
पुणे स्टेशन से दानापुर, भागलपूर (बिहार), गोरखपुर, लखनऊ आदि स्थानों के लिए अतिरिक्त ट्रेनें चलाई गईं। 1 अप्रैल से इन इलाकों के लिए 32 से 35 ट्रेनें चलाई गईं। एक जानकारी के अनुसार लगभग हर महीने ढाई लाख प्रवासी यहां से अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं। हालांकि यह राहत की बात यह है कि अब धीरे-धीरे आंकड़ों का ग्राफ नीचे आ रहा है। 
 
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