सड़कों पर कब्जे के लिए नक्सली बहा रहे हैं जवानों का खून
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच अब सड़कों के लिए लड़ाई हो रही है। सरकार इस क्षेत्र में सड़कों के माध्यम से विकास पहुंचाना चाहती है, वहीं नक्सली सड़कों पर अपना कब्जा बनाए रखना चाहते हैं।
मंगलवार को सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में नक्सलियों ने एंटी लैंडमाइन व्हीकल को बारूदी सुरंग में विस्फोट कर उड़ा दिया। इस घटना में सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हो गए तथा 2 अन्य घायल हो गए।
राज्य में नक्सल विरोधी अभियान के विशेष पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी बताते हैं कि किस्टाराम से चिंतलनार के मध्य लगभग 40 किलोमीटर लंबी एक कच्ची सड़क है जिस पर नक्सलियों का कब्जा है। सरकार चाहती है कि इस सड़क को बनाया जाए और यहां के ग्रामीणों तक विकास पहुंचाई जाए। लेकिन नक्सली यह नहीं होने देना चाहते, यह इलाका नक्सलियों के बटालियन नंबर 1 के प्रभाव में है। यदि यहां विकास होता है तब नक्सलियों का पैर यहां से उखड़ जाएगा।
अवस्थी ने बताया कि सुरक्षा बल के सहयोग से किस्टाराम से पलोड़ी के मध्य लगभग 5 किलोमीटर दूरी तक मुरम की सड़क का काम किया गया है। पलोड़ी में शिविर की स्थापना नवंबर वर्ष 2017 में की गई थी। इसके बाद कुछ दूरी पर स्थित पोटकपल्ली में शिविर की स्थापना की कोशिश की जा रही है। मंगलवार को सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक पोटकपल्ली दौरे पर ही रवाना हुए थे।
उन्होंने बताया कि पोटकपल्ली में शिविर की स्थापना होने और किस्टराम से चिंतलनार के मध्य सड़क का निर्माण होने से नक्सलियों को यहां से भागना होगा। यही कारण है कि नक्सली यहां सड़कों के निर्माण का विरोध कर रहे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि किस्टाराम से चिंतलनार मार्ग राज्य राजमार्ग है लेकिन अब यहां सड़क नहीं है। यहां सड़क का निर्माण सुरक्षा बल के लिए चुनौती है।
अवस्थी कहते हैं कि यदि यहां सड़क का निर्माण हो जाएगा तब नक्सलियों के बटालियन नंबर 1 का प्रभाव खत्म हो जाएगा जिन्होंने क्षेत्र में बड़ी नक्सली घटनाओं का अंजाम दिया है। नक्सलियों ने पिछले वर्ष मार्च और अप्रैल महीने में सड़क निर्माण के विरोध में भेज्जी और बुरकापाल में सुरक्षा बलों पर हमला किया था। इन घटनाओं में कुल 37 जवान शहीद हुए थे।
वहीं मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं कि क्षेत्र में सड़कों के विकास से नक्सली बौखला गए हैं जिससे वे ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं तथा पलोड़ी शिविर नक्सलियों के गढ़ में बना हुआ शिविर है। इसके बाद हमारी पहुंच नक्सलियों के मुख्यालय के नजदीक हो गई है। क्षेत्र में सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। यह बहुत ही मुश्किल काम है, जो जवानों की सुरक्षा में रहा है और यही नक्सलियों की बौखलाहट का कारण है। (भाषा)