क्या सुंदरकांड का पाठ पूरा एक बार में ही करना चाहिए?
हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ सबसे अचूक माना गया है। यह तुलसीदासकृत रामचरित मानस का एक पांचवां काण्ड है। आओ जानते हैं कि सुन्दरकाण्ड का पाठ एक बार में ही करना चाहिए या कि रुक रुक कर कर सकते हैं।
1. सुंदरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है। सुंदरकाण्ड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है।
2. हनुमानजी के सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र, ज्योतिष के अनुसार भी विषम परिस्थितियों सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी जाती है। साप्ताहिक पाठ करने से गृहकलेश दूर होता है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं। 40 सप्ताह तक सुंदरकाण्ड का पाठ करने से जीवन में आता है खूबसूरत बदलाव।
3. विद्वान लोग मानते हैं कि वैसे तो सुंदरकांड का पाठ एक बार में ही करें तो ज्यादा अच्छा है परंतु यदि आप इसे एक बार में करने में सक्षम नहीं हैं तो रुक रुक कर एक ही समय करें। इसमें किसी भी प्रकार का अंतराल नहीं होना चाहिए।
4. सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से कर्ज और रोग से छुटकारा मिलता है। हनुमानजी की भक्ति करने और नियमित सुंदरकाण्ड का पाठ करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता से आगे बढ़ता है।
5. सुंदरकांड के पाठ की शुरुआत मंगलवार या शनिवार के दिन से ही करें। इसमें स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। हनुमानजी के साथ सीता-राम की मूर्तियों की पूजा करने के बाद पाठ की शुरुआत करें। हनुमानजी की पूजा फल-फूल, मिठाई और सिंदूर से करें। सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले गणेश वंदना जरूर कर लें।