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अटल बिहारी वाजपेयी : हमेशा कदम मिलाकर चले...

atal bihari vajpayee profile। अटल बिहारी वाजपेयी : हमेशा कदम मिलाकर चले... - atal bihari vajpayee profile
'बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों में हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।' अपनी इन्हीं पंक्तियों की तरह थे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी। अपनी पार्टी का नेता हो या विरोधी पार्टी का, सबको साथ लेकर चलने की खूबी उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती थी। यही कारण था कि उन्हें अजातशत्रु भी कहा जाता था।
 
अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी।
 
प्रारंभिक जीवन : वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ। पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अत: काव्य कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया। 
 
राजनीतिक जीवन : वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जन संघ के नाम से जाना जाता था।
 
वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।
 
1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने : कवि हृदय वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई।
 
पुरस्कार और सम्मान : आजीवन अविवाहित रहे अटलजी को अटलजी को 2015 में सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। उन्हें भारत के प्रति निस्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया।
 
विशेष : परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों से बिना डरे वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया। इसकी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को भनक तक नहीं लग पाई। अटलजी नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल ही पहले विदेशमंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
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