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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 30 जनवरी 2025 (12:52 IST)

Mahakumbh: महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी पर, जानें ब्रह्म मुहूर्त के अलावा अन्य स्नान मुहूर्त और किसे कहते हैं शाही स्नान?

Basant Panchami Shahi  Snan Time
Basant Panchami Shahi Snan Time: महाकुंभ में इस बार 6 बड़े स्नान हो रहे हैं। पहला स्नान 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा का रहा, दूसरा 14 जनवरी मकर संक्रांति पर शाही स्नान रहा, तीसरा 29 जनवरी मौनी अमावस्या पर शाही स्नान रहा और अब चौथा 3 फरवरी 2025 बसंत पंचमी पर भी शाही स्नान रहेगा, पांचवां 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का स्नान रहेगा और छठा स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का रहेगा। यानी कुल 3 शाही स्नान हैं। मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी, बाकि पर्व स्नान है। सभी को अमृत स्नान कहते हैं। ALSO READ: बसंत पंचमी पर क्या है सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त और जानिए पूजा की विधि सामग्री एवं मंत्र सहित
 
बसंत पंचमी शाही स्नान (3 फरवरी 2025 सोमवार): बसंत पंचमी का तीसरा और अंतिम शाही स्नान रहेगा। इसके बाद माघ पूर्णिमा और शिवरात्रि पर अमृत स्नान रहेंगे। शाही स्नान के बाद साधु संतों का कुंभ से जाना प्रारंभ हो जाएगा। बसंत पंचमी पर माता सरस्वती का प्रकटोत्सव भी रहेगा। इस दिन यदि आप शाही स्नान करने का सोच रहे हैं और पहले से ही प्रयागराज में हैं तो जानिए क्या रहेगा स्नान का मुहूर्त। यदि आप प्रयागराज से बहार हैं तो हमारी सलाह है कि प्रयागराज जाने के बजाए और जहां हैं वहीं पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर लें। कहते हैं कि कुंभ के दौरान सभी नदियां का जल अमृत के समान हो जाता है। जरूरी नहीं है कि आप गंगा स्नान ही करें।
 
शाही स्नान का शुभ मुहूर्त:- 
ब्रह्मा मुहूर्त: प्रात: 05:23 से 06:16 तक।
प्रातः सन्ध्या मुहूर्त: सुबह 05:49 से 07:08 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:13 से 12:57 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:24 से 03:08 तक।
 
शाही स्नान का शुभ चौघड़िया:
अमृत: सुबह 07:07 से 08:29 तक
शुभ: सुबह 09:51 से 11:13 तक
चर: दोपहर 01:56 से 03:18 तक।
लाभ: दोपहर 03:18 से 04:40 तक।
अमृत: शाम 04:40 से 06:01 तक।
क्या होता है शाही स्नान?
1. कुंभ में शाही स्नान नहीं होता है। सिर्फ अमृत स्नान ही होता है। ऊपर हमने कुल 6 अमृत स्नान लिखे हैं जिसे पर्व स्नान भी कहते हैं। इन्हीं 6 में से जिस दिन संत गाजे बाजे के साथ शाही तरीके से स्नान करते हैं तो उस दिन को शाही स्नान कहते हैं। यानी संतों के स्नान को शाही स्नान कहते हैं। यानी संतों का शाही स्नान पर्व विशेष पर होता है। ALSO READ: 27 साल बाद कुंभ में मिला शख्‍स, बन गया अघोरी साधु, परिवार को पहचानने से किया इनकार
 
2. नागा साधु इस दौरान हाथी, घोड़े और रथ में सवार होकर गंगा स्नान के लिए आते हैं। यानि राजाओं की तरह उनका ठाठबाट देखने को मिलता है। माना जाता है कि, नागाओं के इस शाही लश्कर को देखकर ही महाकुंभ के पवित्र स्नान को शाही स्नान नाम दिया गया था। 
 
3. पुराने समय में राजा-महाराज, साधु संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर महाकुंभ के दौरान स्नान के लिए निकलते थे। तभी से ही महाकुंभ की कुछ विशेष तिथियों पर होने वाले स्नान को शाही स्नान कहा जाने लगा। 
 
4. कई विद्वान मानते हैं कि, महाकुंभ का आयोजन सूर्य, गुरु जैसे राजसी ग्रहों की स्थिति को देखकर किया जाता है, इसलिए भी इस दौरान किए गए स्नान को शाही स्नान कहा जाता है।
कैसे करें शाही स्नान वाले दिन गंगा में स्नान?
-प्रात:काल प्रथम प्रहर में ही स्नान करना शुभ होता है। इससे प्रजापत्य का फल प्राप्त होता है।
-कुंभ में नदी स्नान में डुबकी लगाने से पूर्व तट से दूर स्नान करके शरीर को पवित्र कर लें। इसे मलापकर्षण स्नान कहा गया है। यह अमंत्रक होता है
-मलापकर्षण करने के बाद नदी को नमन करें और फिर जल में घुटनों तक उतरें।
-इसके बाद शिखा बांधकर दोनों हाथों में पवित्री पहनकर आचमन आदी से शुद्ध होकर दाहिने हाथ में जल लेकर शास्त्रानुसार संकल्प करें।
-स्नान से पूर्व पहले पवित्री अर्थात जनेऊ को स्नान कराएं। इसके बाद शिखा खोल दें।
-इसके बाद इस मंत्र को बोलें- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
-इसके बाद  जल की ऊपरी सतह हटाकर, कान औए नाक बंद कर प्रवाह की और या सूर्य की और मुख करके जल में 5 डुबकी लगाएं। 
-डुबकी लगाने के बाद खड़े होकर जल से तर्पण करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें।
-इसके बाद जल से बाहर निकलकर शुद्ध वस्त्र पहनें और फिर पंचदेवों की पूजा करें।