चांदी के कलश में क्यों लंदन भेजा गया था हजारों लीटर गंगाजल, जानिए रोचक कहानी
Maha Kumbh 2025: इन दिनों प्रयाग में महाकुंभ का आयोजन हो रहा हैं जहां प्रतिदिन लोग लाखों की संख्या में पवित्र संगम में स्नान कर रहे हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदी माना जाता है। गंगाजल को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय 8 हजार लीटर गंगाजल को चांदी के 2 विशाल कलशों में भरकर लंदन भेजा गया था? आइए जानते हैं ये अनोखी कहानी।
महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय और गंगाजल
यह कहानी जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय से जुड़ी है। महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय गंगा नदी के बहुत बड़े भक्त थे। वे गंगाजल को हमेशा अपने साथ रखते थे। एक बार ब्रिटेन के राजा ने महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय को अपने राज्याभिषेक में आमंत्रित किया। लेकिन उस समय हिंदुओं का मानना था कि समुद्र पार जाना शुभ नहीं माना जाता था। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए महाराजा ने एक अनोखा तरीका निकाला।
8000 लीटर गंगाजल लंदन गया
तब महाराजा ने अपने मंत्रियों और गुरुओं से विमर्श कर एक अनोखा उपाय निकाला गया। तय हुआ कि महाराजा एक ऐसे जहाज से ब्रिटेन जाएंगे जिसमें कभी भी किसी भी तरह का मांस नहीं पकाया गया हो। साथ ही ये भी तय हुआ कि इस पूरे सफर के दौरान महाराजा गंगाजल का ही सेवन करेंगे और इसी से नहाएंगे। तब खोज हुई ओलंपिया नाम एक जहाज की, जिसे लाखों के किराये पर लिया गया और उस जहाज में चांदी के विशाल कलशों में 8 हजार लीटर गंगाजल भरा गया। महाराज के साथ इस जहाज पर उनके कई पुरोहित और सेवक भी साथ गए थे।
लंदन पहुंचने के बाद महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय का जोरदार स्वागत हुआ और उन्हें महल में ठहराया गया। लंदन में जब भी कोई अंग्रेज उनसे हाथ मिलाता था तो महाराजा गंगाजल से अपने हाथ धोते थे। उनका खाना भी गंगाजल में ही बनता था। इसके बाद ये एक परंपरा सी बन गई और लंदन जाने पर लोग अपने साथ गंगाजल ले जाने लगे।