Prayagraj Stampede : महाकुंभ हादसे के एक दिन बाद भी कई लोग अपनों की तलाश में मेला क्षेत्र में भटक रहे हैं। बुधवार तड़के एक से दो बजे के बीच बेकाबू भीड़ बैरियर को ध्वस्त करते हुए उन श्रद्धालुओं पर चढ़ गई जो 144 साल बाद के बहुप्रचारित शुभ मुहूर्त में अमृत स्नान करने के लिए घाट के रास्ते पर देर रात से ही डटे हुए थे। मेला प्रशासन के अनुसार, 30 लोग भगदड़ में मारे गए हैं और 60 घायल हैं। मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
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ग्वालियर से 15 लोगों के साथ आई शकुंतला देवी को अब भी उनके अपने तलाश रहे हैं। जितेंद्र जैसे ही कई लोग हैं जो अब भी अपनों को ढूंढ रहे हैं। जितेंद्र ने रुंधे हुए गले से बताया कि कल हादसे के बाद से बुआ का कोई पता नहीं चल रहा.. बुआ के गले में परिचय पत्र है, पर उनका ना फोन लग रहा है, ना ही उन्होंने किसी से संपर्क किया.. क्या करें समझ नहीं आ रहा।
तब से अब तक लापता हुए लोगों में से कुछ तो अपने परिजनों से मिल गए हैं, लेकिन जितेंद्र जैसे कई लोग अब भी लापता परिजनों की तलाश में परेशान हैं। लापता लोगों में अधिक संख्या महिलाओं की है।
हमीरपुर के ढीहा डेरा गांव की फूली निषाद भी मौनी अमावस्या के दिन से ही लापता हैं। फूली के बेटे राजेश निषाद ने बताया कि कुंभ मेले में उनकी मां, पिता जी, मामा और मौसी गंगा स्नान करने गए थे। मौनी अमावस्या के दिन शाम को स्नान करने के बाद वह भटक गईं और अब तक उनका पता नहीं चला है। घरवाले भी परेशान हैं।
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वहीं, देवरिया से 6-7 रिश्तेदारों के साथ मौनी अमावस्या पर स्नान करने आईं माया सिंह भी मेले में लापता हो गईं। उनके पति जनार्दन सिंह ने बताया कि ये सभी लोग बनारस से सहसों चौराहे पर पहुंच जहां गाड़ी पार्क कर ये सभी मेले में आए और गंगा स्नान किया। सभी लोग स्नान करके वापस जाने के लिए सहसों चौराहे पर पहुंचे, लेकिन भीड़ अधिक होने से माया सिंह उसी चौराहे पर कहीं भटक गईं। हर जगह संपर्क करने के बावजूद अभी तक उनका पता नहीं चला।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, महाकुंभ में जिन लोगों के अपने बिछड़ गए हैं, सूचना के अभाव में उनके अंदर ये आशंका जन्म ले रही है कि कहीं उन्होंने अपने परिवार, परिजनों को हमेशा के लिए तो नहीं खो दिया है। इस आशंका को दूर करने के लिए एक सरल उपाय ये है कि सरकार महाकुंभ हादसे में जीवन गंवानेवालों की सूची जारी कर दे। यदि मृतक चिन्हित नहीं हैं तो उनके वस्त्र-चित्रादि माध्यम से पहचान करायी जाए।
हालांकि, मेला क्षेत्र में अपनों की तलाश में जुटे कई लोग खुशकिस्मत भी रहे। रेनू लता नंदी के बेटे अमर कुमार नंदी ने बताया कि मेरा मां परसों रात में गंगा स्नान के बाद बिछड़ गई थीं। भगदड़ की घटना के बाद से हमें उनकी बहुत अधिक चिंता थी। लेकिन आज सेक्टर 20 में गांव के ही एक आदमी से उनकी भेंट हो गई। ओड़िशा से 26 लोगों का समूह मेले में आया है और सभी अब बहुत खुश हैं।
बुधवार को सेक्टर 4 स्थित भारत सेवा दल के भूले भटके शिविर का संचालन करने वाले उमेश चंद्र तिवारी ने बताया, इस बार डिजिटल खोया पाया केंद्र बनने से ज्यादातर लोग उधर ही संपर्क कर रहे हैं और डिजिटल खोया पाया केंद्र हमसे भी समन्वय स्थापित कर लोगों की तलाश में हमारी मदद ले रहा है। डिजिटल खोया पाया केंद्र परिसर में बुधवार की शाम सैकड़ों की संख्या में लोग थकान की वजह से जहां तहां लेटे हुए आराम करते दिखे और केंद्र के लोगों से संपर्क नहीं हो सका। (इनपुट : भाषा)
edited by : Nrapendra Gupta