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Last Updated : बुधवार, 29 जनवरी 2025 (12:38 IST)

महाकुंभ में भगदड़ से हाहाकार: धक्का मुक्की हो रही थी, बचने का मौका नहीं था, अस्पताल के बाहर रोती महिलाओं का दर्द

prayagraj stampede
Prayagraj mahakumbh stampede : मौनी अमावस्या के अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम स्नान के लिए उमड़े, लेकिन आस्था का यह सैलाब अचानक मौत और चीख-पुकार में बदल गया। भगदड़ में कई लोग घायल हो गए, तो कुछ अपनों से बिछड़ गए। अस्पताल के बाहर परिजनों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया। ALSO READ: क्या VVIP कल्‍चर से मची भगदड़, महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने लगाया आरोप, कई लोग भटके, मौके पर 100 एंबुलेंस
 
धक्का-मुक्की हो रही थी, बचने का मौका नहीं था: संगम घाट पर हुए इस दर्दनाक हादसे की गवाह बनी सरोजनी, जो अस्पताल के बाहर फूट-फूटकर रो रही थीं। उन्होंने कहा, *"हम 60 लोगों के ग्रुप में आए थे, लेकिन अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई। लोग गिर रहे थे, कोई किसी की मदद नहीं कर पा रहा था। चारों तरफ से धक्का मिल रहा था, बचने का कोई रास्ता नहीं था।  
 
कई लोग लापता, अपनों की तलाश में भटकते परिजन: मध्य प्रदेश के छतरपुर से आए एक व्यक्ति ने बताया कि उनकी मां गंभीर रूप से घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। वहीं, मेघालय से आए एक दंपति ने कहा कि उनके साथ आए 10 लोगों में से 8 का अब तक कोई पता नहीं है।  
 
स्नान करने जा रही 30 महिलाएं घायल, कई की हालत गंभीर: प्रत्यक्षदर्शी जय प्रकाश स्वामी ने बताया कि भगदड़ के दौरान महिलाएं भीड़ के नीचे फंस गईं और उठ नहीं पा रही थीं। उन्होंने कहा, मैं किसी तरह बाहर निकला और फिर अपने परिवार को बचाने की कोशिश की। ALSO READ: योगी आदित्यनाथ ने बताया, कैसे मची प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़?
 
गोरखपुर के सुदामा ने बताया कि उनके दो परिजन—शिव सहाय और उनकी पत्नी तारा—लापता थे। उन्हें बाद में अस्पताल में उनकी मौत की खबर मिली। "हम स्नान करने जा रहे थे, लाइन में खड़े थे, तभी पुलिस ने रास्ता रोक दिया और अचानक धक्का-मुक्की होने लगी। कुछ लोग नीचे गिर गए, फिर सब कुछ बेकाबू हो गया," उन्होंने कहा।  
 
सवालों के घेरे में प्रशासन, श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर उठे सवाल: इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाखों की भीड़ को संभालने के लिए किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हुए। सवाल यह है कि क्या आने वाले दिनों में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे, या फिर हर बार श्रद्धालुओं को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ेगी?
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