पेरिस ओलंपिक के बैडमिंटन कांस्य पदक मुकाबले में लक्ष्य सेन की चौंकाने वाली हार के बाद खिलाड़ियों के प्रयासों की महान खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण द्वारा आलोचना ने बैडमिंटन बिरादरी को विभाजित कर दिया है। युगल खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा ने कहा कि उनकी टिप्पणियां खुद की जवाबदेही से बचने के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने जैसा है। सेन सोमवार को शुरुआती गेम जीतने के बाद दूसरे गेम में में 8-3 की बढ़त गंवाकर मलेशिया के ली जी जिया से 21-13, 16-21, 11-21 से हार गए और कांस्य पदक जीतने से चूक गए।
सेन के दबाव में आने से स्तब्ध पूर्व दिग्गज खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने सोमवार को कहा था कि अब समय आ गया है कि खिलाड़ी दबाव का सामना करना सीखें, जवाबदेह बनें और सरकार से पूरा समर्थन मिलने के बाद परिणाम देना शुरू करें।
महिला युगल में अपनी जोड़ीदार तनीषा क्रास्टो के साथ ओलंपिक के ग्रुप चरण से बाहर होने वाली पोनप्पा, पादुकोण की टिप्पणियों से सहमत नहीं है।
उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी में लिखा, यह देखकर निराशा हुई। अगर कोई खिलाड़ी जीतता है, तो हर कोई श्रेय लेने के लिए तैयार रहता है। अगर वे हार जाते हैं, तो यह सिर्फ खिलाड़ी की गलती कैसे है?
उन्होंने कहा, खिलाड़ियों को तैयार करने में कमी के लिए कोच को जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराया जाता? वे जीत का श्रेय लेने वाले पहले व्यक्ति होते हैं। वे अपने खिलाड़ियों की हार की जिम्मेदारी भी क्यों नहीं लेते?
उन्होंने कहा, जीतने के लिए टीम प्रयास की आवश्यकता होती है और हार भी टीम की जिम्मेदारी है। आप अचानक खिलाड़ी पर सारा दोष नहीं मढ़ सकते।
पोनप्पा के साथ विश्व चैम्पियनशिप का कांस्य पदक जीतने वाली दिग्गज ज्वाला गुट्टा ने हालांकि पादुकोण की बातों का समर्थन किया।
उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, हां, खिलाड़ी भी जिम्मेदारी ले सकते हैं...क्यों नहीं?उन्होंने कहा, खिलाड़ी, जब जीतते हैं, तो पुरस्कार राशि प्राप्त करते हैं...क्या वे इसे अपने कोच या स्टाफ के साथ साझा करते हैं? अगर कोई कोच कह रहा है कि खिलाड़ियों को टूर्नामेंट में एक निश्चित चरण तक पहुंचने के बाद अधिक जिम्मेदारी लेने की भी जरूरत है, तो खिलाड़ी को ऐसा करना चाहिए।
पारुपल्ली कश्यप और साइना नेहवाल की स्टार बैडमिंटन जोड़ी का मानना है कि आलोचना महत्वपूर्ण है, लेकिन खिलाड़ियों की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना ठीक नहीं है।
उन्होंने इंस्टाग्राम पर साझा की गयी पोस्ट में कहा, कुछ दिनों में खेल खत्म होने के बाद हमारे भारतीय ओलंपिक दल से कई कठिन सवाल पूछे जाएंगे और यह सही भी है। हम उस समय विफल रहे जब यह सबसे ज्यादा मायने रखता था।
दोनों ने स्वीकार किया कि अभी राष्ट्रीय खेल महासंघों पर बहुत अधिक उंगलियां नहीं उठाई जा सकतीं।उन्होंने कहा, खिलाड़ियों से इसके बारे में पूछना और आलोचना करना हमारा अधिकार है,लेकिन हम देश का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी 117 एथलीटों की प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। उन सभी ने ओलंपिक में पहुंचने के लिए अपना खून, पसीना और आंसू बहाए हैं।
(भाषा)