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Written By WD Sports Desk
Last Updated : बुधवार, 31 जुलाई 2024 (19:05 IST)

3 लगातार हार के बाद रो पड़ी यह भारतीय खिलाड़ी, लिया संन्यास

यह मेरा आखिरी ओलंपिक है, रोते हुए अश्विनी पोनप्पा ने कहा

3 लगातार हार के बाद रो पड़ी यह भारतीय खिलाड़ी, लिया संन्यास - Ashwini Ponnappa breaks down in tears after humiliating loss
भारत की दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा ने मंगलवार को तनीषा क्रास्टो के साथ पेरिस खेलों की महिला युगल स्पर्धा में लगातार तीसरी हार के बाद आंसू बहाते हुए घोषणा की कि उन्होंने अपना आखिरी ओलंपिक खेल लिया है।

अश्विनी और तनीषा को मंगलवार को सेतियाना मोपासा और एंजेला यू की ऑस्ट्रेलिया की जोड़ी के खिलाफ 38 मिनट में 15-21, 10-21 से हार झेलनी पड़ी। भारतीय जोड़ी ने अपने तीनों ग्रुप मैच गंवाकर अपना अभियान खत्म किया।

अपने तीसरे ओलंपिक में खेल रहीं अश्विनी से जब 2028 ओलंपिक में खेलने की उम्मीद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा आखिरी होगा लेकिन तनीषा को अभी लंबा रास्ता तय करना है।’’

उन्होंने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘इसका भावनात्मक और मानसिक रूप से असर पड़ता है, मैं इसे फिर से नहीं झेल सकती। यह आसान नहीं है, अगर आप थोड़े युवा हैं तो आप यह सब झेल सकते हैं। इतने लंबे समय तक खेलने के बाद मैं इसे और नहीं झेल सकती।’’

वर्ष 2001 में अपना पहला राष्ट्रीय खिताब जीतने वाली अश्विनी ने ज्वाला गुट्टा के साथ एक शानदार और इतिहास रचने वाली महिला जोड़ी बनाई थी। ये दोनों 2017 तक साथ खेलीं। इस जोड़ी ने कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते थे जिसमें 2010 दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक और उबेर कप (2014 और 2016) और एशियाई चैंपियनशिप (2014) में कांस्य पदक शामिल हैं।
इस जोड़ी ने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनकर इतिहास रच दिया। यह उनके करियर का सबसे बड़ा पुरस्कार था। ज्वाला और अश्विनी की जोड़ी लगातार विश्व रैंकिंग में शीर्ष 20 में रही और एक समय 10वें स्थान पर पहुंच गई।

अश्विनी और ज्वाला ने दो ओलंपिक (2012 और 2016) में एक साथ खेला लेकिन शुरुआती चरण से आगे नहीं बढ़ पाईं।अश्विनी ने कहा, ‘‘हम आज जीतना चाहते थे। हम चाहते थे कि परिणाम अलग और बेहतर हो, मेरे और तनीषा के लिए सबसे बड़ी बात यह रही कि ओलंपिक में पहुंचने के लिए हमें काफी लंबा सफर तय करना पड़ा। यह आसान नहीं था।’’

तनीषा भी अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाईं और वह होकर रोने लगीं। उन्होंने कहा, ‘‘वह (अश्विनी) यहां मेरा सबसे बड़ा सहारा रही हैं। हम बेहतर परिणाम चाहते थे और हमने अपना सिर ऊंचा रखा। उन्होंने हर बार मुझे प्रेरित किया।’’(भाषा)
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