शिव और पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा गया है। ज्येष्ठ माह की स्कंद षष्ठी का महत्व दक्षिण भारत में ज्यादा है। यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं। इस बार 16 जून 2021 को स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। आओ जानते हैं भगवान कार्तिकेय की 10 खूबियां।
1. तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैला था। तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। ब्रह्माजी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा। कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं।
2. संस्कृत भाषा में लिखे गए 'स्कंद पुराण' के तमिल संस्करण 'कांडा पुराणम' में उल्लेख है कि देवासुर संग्राम में भगवान शिव के पुत्र मुरुगन (कार्तिकेय) ने दानव तारक और उसके दो भाइयों सिंहामुखम एवं सुरापदम्न को पराजित किया था। अपनी पराजय पर सिंहामुखम माफी मांगी तो मुरुगन ने उसे एक शेर में बदल दिया और अपनानी माता दुर्गा के वाहन के रूप में सेवा करने का आदेश दिया।
3. कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। उज्जैन के भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा के तट पर प्रचीन सिद्धवट का स्थान है। इसे शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी को यहीं पर सेनापति नियुक्त किया गया था।
4. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
5. कार्तिकेय का वाहन मयूर है। एक कथा के अनुसार कार्तिकेय को यह वाहन भगवान विष्णु ने उनकी सादक क्षमता को देखकर ही भेंट किया था।
6. दक्षिण भारत की कथा के अनुसार दूसरी मुरुगन अर्थात कार्तिकेय से लड़ते हुए सपापदम्न (सुरपदम) एक पहाड़ का रूप ले लेता है। मुरुगन अपने भाले से पहाड़ को दो हिस्सों में तोड़ देते हैं। पहाड़ का एक हिस्सा मोर बन जाता है जो मुरुगन का वाहन बनता है जबकि दूसरा हिस्सा मुर्गा बन जाता है जो कि उनके झंडे पर मुरुगन का प्रतीक बन जाता है।
7. एक दूसरी कथा के अनुसार कार्तिकेय का जन्म 6 अप्सराओं के 6 अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे 6 अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे। भगवान कार्तिकेय 6 बालकों के रूप में जन्मे थे तथा इनकी देखभाल कृत्तिकाओं (सप्त ऋषि की पत्नियों) ने की थी, इसीलिए उन्हें कार्तिकेय धातृ भी कहते हैं।
8. भगवान कार्तिकेय को देवताओं से सदैव युवा बने रहने का वरदान प्राप्त है।
9. छठी मइया भगवान शंकर की बहू यानि कार्तिकेय की पत्नी हैं। लोक परम्परा में सूर्य व छठी मइया में भाई बहन का रिश्ता है। दक्षिण भारत की प्रचलित मान्यता अनुसार ये ब्रह्मपुत्री देवसेना-षष्टी देवी के पति होने के कारण सन्तान प्राप्ति की कामना से तो पूजे ही जाते हैं, इनको नैष्ठिक रूप से आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय भी है।
10. प्राचीनकाल के राजा जब युद्ध पर जाते थे तो सर्वप्रथम कार्तिकेय की ही पूजा करते थे। यह युद्ध के देवता हैं और सभी पुराण और ग्रंथ इनकी प्रशंसा करते हैं।
11. कार्तिकेय की पूजा मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है। अरब में यजीदी जाति के लोग भी इन्हें पूजते हैं, ये उनके प्रमुख देवता हैं। उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षेत्र विशेष में ही इन्होंने स्कंद नाम से शासन किया था। इनके नाम पर ही स्कंद पुराण है। भगवान स्कंद 'कुमार कार्तिकेय' नाम से भी जाने जाते हैं।
आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और 'तिथितत्त्व' में चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को, कार्तिक कृष्ण पक्ष की षष्ठी, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की षष्ठी को भी स्कंद षष्ठी का व्रत होता है। यह व्रत 'संतान षष्ठी' नाम से भी जाना जाता है। स्कंदपुराण के नारद-नारायण संवाद में इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है।