sahastrabahu arjun jayanti : चक्रवर्ती सम्राट सहस्रबाहु अर्जुन की जयंती
21 नवंबर को राज राजेश्वर भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन की जयंती है। उनकी जयंती प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। सहस्त्रबाहु अर्जुन का जन्म महाराज हैहय की 10वीं पीढ़ी में माता पद्मिनी के गर्भ से हुआ था। उनका जन्म नाम एकवीर तथा सहस्रार्जुन भी है।
सहस्रार्जुन जयंती क्षत्रिय धर्म की रक्षा एवं सामाजिक उत्थान के लिए मनाई जाती है। चंद्रवंशी क्षत्रियों में हैहय वंश सर्वश्रेष्ठ उच्च कुल का क्षत्रिय माना गया है। चन्द्र वंश के महाराजा कृतवीर्य के पुत्र होने के कारण उन्हें कार्तवीर्य-अर्जुन कहा जाता है।
महाभारत, वेद ग्रंथों तथा कई पुराणों में सहस्रबाहु की कई कथाएं पाई जाती हैं। पुराणों के अनुसार प्रतिवर्ष सहस्रबाहु जयंती कार्तिक शुक्ल सप्तमी को दीपावली के ठीक बाद मनाई जाती है।
भागवत पुराण में भगवान विष्णु व लक्ष्मी द्वारा सहस्रबाहु महाराज की उत्पत्ति की जन्मकथा का वर्णन है। उन्होंने भगवान की कठोर तपस्या करके 10 वरदान प्राप्त किए और चक्रवर्ती सम्राट की उपाधि धारण की। वे भगवान विष्णु के 24वें अवतार माने गए हैं।
सहस्रबाहु भगवान दत्तात्रेय के भक्त थे और दत्तात्रेय की उपासना करने पर उन्हें सहस्र भुजाओं का वरदान मिला था इसीलिए उन्हें सहस्रबाहु अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक ग्रंथों एवं पुराणों के अनुसार कार्तवीर्य अर्जुन के हैहयाधिपति, सहस्रार्जुन, दषग्रीविजयी, सुदशेन, चक्रावतार, सप्तद्रवीपाधि, कृतवीर्यनंदन, राजेश्वर आदि कई नाम होने का वर्णन मिलता है।