माघ मास को बहुत ही पवित्र माह माना जाता है। इस माह के प्रारंभ होते ही मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं और इस माह में सूर्य उत्तरायण रहता है। अत: माघ माह में दान, पुण्य आदि के कार्य किए जाने से सभी तरह के संकट मिटकर व्यक्ति सुख और समृद्धि पाता है। आओ जानते हैं कि माघमास में कौनसे 10 पुण्य के काम किए जाते हैं।
1. माघ स्नान : इस मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य पापमुक्त हो जाते हैं। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
2. दान : माघ माह में कंबल, वस्त्र, तिल, अन्न, घी, नमक, गुड़, पांच तरह के अनाज, गाय आदि का दान करने से हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।
3. तिल का महत्व : माघ कृष्ण द्वादशी को यम ने तिलों का निर्माण किया और दशरथ ने उन्हें पृथ्वी पर लाकर खेतों में बोया था। अतएव मनुष्यों को उस दिन उपवास रखकर तिलों का दान कर तिलों को ही खाना चाहिए।
4. व्रत : माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आरंभ होता है और तिल चतुर्थी, रथसप्तमी, भीष्माष्टमी आदि व्रत प्रारंभ होते हैं। माघ शुक्ल चतुर्थी को उमा चतुर्थी कहा जाता है। शुक्ल सप्तमी को व्रत का अनुष्ठान होता है। उक्त दिनों में व्रत रखने से सभी तरह के संकट दूर होकर पुण्य की प्राप्ति होती रहै।
5. विष्णु पूजा : माघ माह में श्रीहरि भगवान विष्णु की माता लक्ष्मी के साथ पूजा करना चाहिए। इससे घर में सुख, शांति, धन और समृद्धि बनी रहती है। उपरोक्त बताए गए व्रतों में भगवान विष्णु की पूजा होती है।
6. कल्पवास : माघ माह में कल्पवास का बहुत महत्व है। नदी के तट पर साधुओं के साथ कुटिया बनाकर कुछ विशेष दिनों तक रहने को कल्पवास कहते हैं। इससे सांसारिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
7. सत्संग : इस माह में संतों के साथ सत्संग करने और धर्म, कर्म की बातों को ग्रहण करने के बहुत महत्व होता है। इससे मन निर्मल होकर पुण्य की प्राप्ति होती है। सत्संग से धर्म का ज्ञान प्राप्त होता है। धर्म के ज्ञान से जीवन की बाधाओं से मुकाबला करने का समाधान मिलता है।
8. स्वाध्याय : स्वाध्यय के दो अर्थ है। पहला स्वयं का अध्ययन करना और दूसरा धर्मग्रंथों का अध्ययन करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें, वह सब कुछ जिससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हो साथ ही आपको इससे खुशी भी मिलती हो।
9. दीपदान : माघ पूर्णिमा या किसी विशेष दिन पर नदी तट पर या नदी में दीपदान करने को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे देवी और देवता प्रसन्न होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
10. तर्पण : माघ माह में अमास्या और पूर्णिमा के दिन पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए क्योंकि इस पवित्र माह में पितरों को मुक्ति मिलती है। यह पुण्य का सबसे बड़ा कार्य है।