रविवार, 22 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. तीज त्योहार
  4. Govatsa Dwadashi 2022
Written By

गोवत्स द्वादशी क्यों मनाई जाती है?

गोवत्स द्वादशी क्यों मनाई जाती है? - Govatsa Dwadashi 2022
Govatsa Dwadashi
 

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्रतिवर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी (Govatsa Dwadashi 2023) पर्व मनाया जाता है। वैसे यह पर्व इससे पहले भाद्रपद कृष्ण पक्ष में भी विशेष तौर पर गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है।

इस पर्व को अन्य नाम बच्छ दुआ और वसु द्वादशी से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 21 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जा रहा हैं। तिथि के मतांतर के चलते यह 22 अक्टूबर को भी मनाए जाने की संभावना है। 
 
आपको बता दें कि गोवत्स द्वादशी व्रत दीपावली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है तथा इस दिन गाय-बछड़े (cow worship) की सेवा की जाती है। इस दिन गौ माता का पूजन करने से संतान की दीर्घायु का वरदान प्राप्त किया जाता है।
 
पद्म पुराण में दिए गए गौ माता के वर्णन के अनुसार गौ माता के मुख में चारों वेदों का निवास माना गया हैं। उसके सींगों में भगवान शिव और विष्णु सदा विराजमान रहते हैं। उनके उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा, ललाट में रुद्र, सीगों के अग्र भाग में इंद्र, दोनों कानों में अश्विनीकुमार, नेत्रों में सूर्य और चंद्र, दांतों में गरुड़, जिह्वा में सरस्वती, अपान (गुदा) में सारे तीर्थ, मूत्र स्थान में गंगा जी, रोमकूपों में ऋषि गण, पृष्ठभाग में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण एवं कुबेर, वाम पार्श्व में महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व, नासिका के अग्रभाग में सर्प, खुरों के पिछले भाग में अप्सराएं स्थित हैं। 
 
इसीलिए पुराणों में दिए गए गौ माता के अंग-प्रत्यंग में देवी-देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन हमें प्राप्त होता है। अत: कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी व्रत के दिन गौ माता का पूजन करके पुण्य प्रा‍प्त किया जाता है। 
 
धार्मिक मान्यतानुसार पुत्र की लंबी उम्र के लिए गोवत्स द्वादशी रखा जाता है। इस दिन गौ माता और बछड़े की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं यह त्योहार संतान की कामना व उसकी सुरक्षा के लिए भी किया जाता है। इसमें व्रतधारी सायंकाल में बछड़े वाली गाय की पूजा करके कथा सुनने के पश्चात प्रसाद ग्रहण करते हैं। 
 
इस दिन गाय का दूध, दही, गेहूं और चावल का सेवन नहीं किया जाता है। तथा अंकुरित मोठ, मूंग तथा चने आदि का ही भोजन में उपयोग किया जाता है और इन्हीं से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। इस दिन चाकू द्वारा काटे गए खाद्य पदार्थ का सेवन करना भी वर्जित है। 

Cow Worship