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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शनिवार, 9 नवंबर 2024 (10:36 IST)

Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा

Gopashtami 2024: गोपाष्टमी पूजा विधि और व्रत कथा - gopashtami 2024 puja vidhi
Gopashtami Puja Vidhi : आज 09 नवंबर 2024, दिन शनिवार को गोपाष्टमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी तिथि पर पड़ता है। गौ अष्टमी के दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है।

Highlights 
  • गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व। 
  • आज मनाया जाएगा गोपाष्टमी पर्व।
  • श्रीकृष्ण की किस लीला से जुड़ा है गोपाष्टमी का पर्व।
गोपाष्टमी के बारे में जानें : शास्त्रों के अनुसार गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है अत: जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायंकाल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। गौ पूजन से समस्त देवता प्रसन्न होते हैं।
 
हिन्दू मान्यताओं में गाय को बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गोपाष्टमी के दिन जो व्यक्ति गाय के नीचे से निकलता उसको बड़ा पुण्य मिलता है। गाय को गौ माता भी कहा जाता है तथा उसे मां का दर्जा दिया गया है। जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, ठीक उसी प्रकार गौ माता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्‍थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। यह भी मान्‍यता है कि गोपाष्‍टमी के दिन गौ सेवा करने वाले व्‍यक्‍ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता। गोपाष्टमी के शुभ अवसर पर गौशाला में गो संवर्धन हेतु गौ पूजन आदि कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। 
 
आइए जानते हैं कैसे करें गोपाष्टमी पर पूजन, जानें विधि- 
 
• गोपाष्टमी के दिन शुभ व ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहला धुलाकर श्रृंगार किया जाता है।
• गाय को सजाने के बाद गौ माता की पूजा और परिक्रमा करें।
• परिक्रमा के बाद गाय और उसके बछड़े को घर से बाहर लेकर जाएं और कुछ दूर तक उनके साथ चलें।
• ग्वालों को इस दिन दान अवश्य करना चाहिए।
• शाम को जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा करें।
• गोपाष्टमी पर गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाएं।
• जिन के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करें। 
• उन्हें गंगा जल, पुष्‍प चढ़ाएं, गुड़, हरा चारा खिलाएं और दीया जलाकर आरती उतारें। 
• गौशाला में खाना और अन्य वस्तु आदि दान भी करनी चाहिए।
• आज के दिन गौशाला में यथाशक्ति दान दक्षिणा, भोजन इत्यादि अवश्य ही देना चाहिए।
 
गोपाष्टमी पर्व की कथा क्या है : गौपूजन का पर्व गोपाष्टमी की कथा के अनुसार बाल कृष्‍ण ने माता यशोदा से इस दिन गाय चराने की जिद की थी। यशोदा मइया ने कृष्‍ण के पिता नंद बाबा से इसकी अनुमति मांगी थी। नंद महाराज मुहूर्त के लिए एक ब्राह्मण से मिले। ब्राह्मण ने कहा कि गाय चराने की शुरुआत करने के लिए यह दिन बहु‍त ही अच्‍छा और शुभ भी है। इसलिए अष्‍टमी पर कृष्‍ण ग्‍वाला बन गए और लोग उन्‍हें गोविंदा के नाम से पुकारने लगे। 
 
माता यशोदा ने अपने लल्ला का श्रृंगार किया और जैसे ही पैरों में जूतियां पहनाने लगी तो बाल कृष्‍ण ने मना कर दिया और बोले मैय्या यदि मेरी गौएं जूतियां नहीं पहनती तो मैं कैसे पहन सकता हूं। यदि पहना सकती हो तो उन सभी को भी जूतियां पहना दो… और भगवान जब तक वृंदावन में रहे, भगवान ने कभी पैरों में जूतियां नहीं पहनी। आगे-आगे गाय और उनके पीछे बांसुरी बजाते हुए भगवान श्री कृष्ण, उनके पीछे बलराम और उनका यश का गान करते ग्वाल-गोपाल इस प्रकार से विहार करते हुए भगवान ने उस वन में प्रवेश किया, तब से भगवान की गौ-चारण लीला का आरंभ हुआ और वह यही शुभ तिथि गोपाष्टमी कहलाई। और इस तरह बाल कृष्‍ण ग्‍वाला बन गए।

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