गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. एनआरआई
  3. आपकी कलम
  4. Poem on relationship

हिन्दी कविता: तुम्हारा-मेरा रिश्ता

हिन्दी कविता: तुम्हारा-मेरा रिश्ता - Poem on relationship
मेरा उससे कोई नाता नहीं
ना मैंने उसे देखा है कभी
फिर भी वह लगती है अपनी
दूर बैठी लगती है करीब-सी
संसार छोटा होता जा रहा
वह किसी तरह मिल गई
हर बार मेरा उत्साह बढ़ाती
मुझे भीतर खुशी महसूस होती
अहसास होता अपनेपन का
मैंने कहां तवज्जो दी थी पहले
इधर-उधर किसी मीडिया पर
मिल कई आते हैं, चले जाते हैं
आसमान में उड़ते बादलों से
कोई बादल ठहर कर बरसे हम पर
अपना प्यार लुटाएं बिना मांगे
फिर चुपचाप चला जाए भिगो तुम्हें
भीगे हुए हो, तुम बंजर थे मन से
अब कपोल हैं खिल रहे मुस्कान के
क्या यह बादल फिर लौट आएगा
शायद दुआ बन आधी रातों में कभी
आधी रातों में अक्सर उलझे से
उलझा होता है दिमाग अपने जाल में
दुआ बन संदेश आते हैं कहीं से
कामना कर रही होती है वह मेरे लिए
ढेरों शुभकामनाएं भविष्य के लिए
तब याद आता है, है कोई अपना-सा
यकीनन विचारों में, यादों में वह थी नहीं
फिर कौंध जाती है बेमौसम बिजली-सी
खड़ी पहली कतार में दुआओं के साथ
अनजाने कई दोस्त मिल तो जाते हैं
शहर, नाम, अता-पता भी जरूरी नहीं
याद ना भी रहें कोई बुरा नहीं मानता
मैंने उसे देखा नहीं है कभी यकीनन
शायद मेरे शहर की हो या आसपास की
परंतु अब दिल में आसपास है
दुआओं में मुझे भी यकीन हो चला है
कभी दुआ के बदले दुआ मिल जाएं
समझ लेना तुम्हारा-मेरा रिश्ता !

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
Hindi Essay : सरदार वल्लभ भाई पटेल पर हिन्दी निबंध