घटस्थापना प्रतिपदा तिथि के पहले एक तिहाई हिस्से में कर लेनी चाहिए। इसे 'कलश स्थापना' भी कहते हैं।
कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।
घटस्थापना की सामग्री : जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, यह वेदी कहलाती है। जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें कंकर आदि न हो।
पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते हैं), घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश (सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते हैं।), कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली, मौली, इत्र व पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का (चांदी या सोने का सिक्का भी रख सकते हैं), पंचरत्न (क्षमता अनुसार : हीरा, नीलम, पन्ना, माणक और मोती), पीपल, बरगद, जामुन, अशोक और आम के पत्ते (सभी न मिल पाए तो कोई भी 2 प्रकार के पत्ते ले सकते हैं), कलश ढंकने के लिए ढक्कन (मिट्टी का या तांबे का), ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल माला, फल तथा मिठाई, दीपक, धूप, अगरबत्ती आदि लें।