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Last Modified: रविवार, 11 सितम्बर 2022 (14:37 IST)

मदरसों के सर्वे को लेकर गरमाई यूपी की सियासत, क्या बोले योगी के मंत्री?

मदरसों के सर्वे को लेकर गरमाई यूपी की सियासत, क्या बोले योगी के मंत्री? - Yogi minister on survey of madarasas in UP
मदरसों के सर्वे को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मदरसों के सर्वे को 'मिनी एनआरसी' करार दिया है। बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी भाजपा पर मुसलमानों को आतंकित करने के लिए सर्वे के नाम पर निजी मदरसों में भी हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है। हालांकि योगी सरकार में मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने राजनीतिक दलों से सर्वे को राजनीति से दूर रखने की अपील की।
 
राज्य मंत्री अंसारी ने राजनीतिक दलों से कहा है कि अगर वे वाकई मुसलमानों की हितैषी हैं तो उन्हें सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे निजी मदरसों के उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम का समर्थन करना चाहिए।
 
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य और लखनऊ के शहर काजी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने ओवैसी द्वारा मदरसों के सर्वेक्षण को मिनी एनआरसी करार दिए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि हर चीज में सियासत ठीक नहीं है।
 
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निजी मदरसों का सर्वे करने से पहले राज्य सरकार द्वारा अनुदानित मदरसों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करे और मदरसों से पहले राज्य की सभी प्राथमिक पाठशालाओं में ऐसा सर्वे कराया जाए।
 
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा निजी मदरसों का सर्वेक्षण कराए जाने के मुद्दे पर जमीयत-उलमा-ए-हिंद की दिल्ली में गत 6 सितंबर को एक बैठक हुई जिसमें वो मदरसा संचालक शामिल हुए जो बिना सरकारी मदद के मदरसे चला रहे हैं।
 
बैठक में सर्वे को लेकर तीन बड़े फैसले हुए। इनमें सरकार से मिलकर मुस्लिम समाज का पक्ष रखने, इस पूरे मामले पर नजर रखने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी बनाने और गलत तरीके से सर्वे हुआ तो उसका विरोध करने का फैसला किया गया।
 
बैठक में यह फैसला किया गया कि आगामी 24 सितंबर को दारुल उलूम देवबंद में संगठन की बैठक होगी जिसमें अगली रणनीति तय की जाएगी।
 
लखनऊ स्थित मदरसा मसूद-उल-उलूम के संचालक मौलाना खलील अहमद ने बताया कि प्रदेश के निजी मदरसों में भी आमतौर पर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाता है। निजी मदरसों का संचालन और रखरखाव अमूमन जकात की रकम और लोगों के स्वैच्छिक आर्थिक और खाद्य पदार्थ रूपी सहयोग से किया जाता है।
 
उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 31 अगस्त को मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का आदेश दिया था।
 
सर्वे में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, क्या मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, मदरसे में कुल कितने शिक्षक हैं, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी।
 
प्रदेश में इस वक्त कुल 16,461 मदरसे हैं जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है। प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में नहीं लिया गया है।
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