यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ेंगी, नियम तोड़ने पर बड़ी सख्ती
नई दिल्ली। आधार जारी करने वाला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को अतिरिक्त शक्तियों के साथ उसकी नियामकीय भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव है। इसके तहत प्राधिकरण के पास बायोमेट्रिक पहचान के दुरूपयोग पर कार्रवाई करने तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों तथा आंकड़ों में सेंध लगाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।
सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निजी कंपनियों के आधार के उपयोग पर पाबंदी के फैसले के मद्देनजर मंत्रिमंडल ने यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने तथा नियमों का उल्लंघन होने पर कड़े सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के इरादे से सोमवार को आधार कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया। प्रस्तावित संशोधन शीर्ष अदालत के आदेश का अनुपालन है।
इसके साथ सिम कार्ड प्राप्त कने तथा बैंक खाता खोलने में आधार के स्वैच्छिक उपयोग को लेकर टेलीग्राफ कानून तथा मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) नियमों में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा।
आधार कानून में प्रस्तावित संशोधन श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों के अनुरूप है जिसने कहा था कि यूआईडीएआई को निर्णय लेने के मामले में न केवल स्वायत्तता होना चाहिए बल्कि प्रवर्तन कार्रवाई के लिये अन्य नियमकों के समरूप शक्तियां होनी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संशोधन यूआईडीएआई को नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अधिक शक्तियां प्रदान करेगा। प्रस्तावित बदलाव के तहत आधार कानून की धारा 57 को हटाया जाएगा। धारा 57 के तहत पूर्व में निजी इकाइयों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया।
प्रस्तावित बदलाव की जानकारी देते हुए सूत्र ने बताया, 'यूआईडीएआई आदेश के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने का प्रावधान होगा। टीडीसैट के खिलाफ अपील उच्चतम न्यायालय की जा सकेगी।'
इसमें यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि वह निर्देश जारी कर सके और अगर निर्देश का अनुपालन नहीं होता है वह जुर्माना लगा सके।
जो इकाइयां सत्यापन के लिए आधार का अनुरोध करेंगी, वह प्राथमिक रूप से दो श्रेणियों से जुड़ी होंगी। ये दो श्रेणियों में एक वो इकाइयां शामिल होंगी जिन्हें संसद में बने कानून के तहत अधिकार मिला है और दूसरी वे इकाइयां जो राज्य के हित में काम कर रही हैं। इसके लिए नियम केंद्र यूआईडीआईएआई के परामर्श से बनाएगा। इस प्रकार का सत्यापन स्वैच्छिक आधार पर होगा।
श्रीकृष्ण समिति ने आधार कानून में संशोधन का सुझाव दिया था जिसमें सत्यापन या ऑफलाइन सत्यापन के लिए सहमति प्राप्त करने में विफल रहने पर जुर्माना शामिल है। इसमें तीन साल तक की जेल या 10,000 रुपए तक जुर्माना शामिल है। इसके अलावा मुख्य बायोमेट्रिक सूचना के अनधिकृत उपयोग के लिए 3 से 10 साल तक की जेल और 10,000 रुपए तक का जुर्माना का सुझाव दिया गया है। (भाषा)