नई दिल्ली। लोकसभा के सदस्य शशि थरूर ने 'विपक्षी एकता की हालिया लहर' का स्वागत करते हुए रविवार को कहा कि कांग्रेस अन्य दलों के लिए 'वास्तविक केंद्र बिंदु' रहेगी, लेकिन यदि वह पार्टी नेतृत्व में होते तो इस बात की 'शेखी बघारने' के बजाय 2024 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करने के लिए किसी छोटे दल को विपक्षी गठबंधन के संयोजक की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करते।
थरूर ने कहा कि 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने की घटना ने विपक्षी एकता की आश्चर्यजनक लहर पैदा कर दी है और कई विपक्षी दलों को इस सूक्ति की अहमियत समझ आने लगी है कि एकता हमें मजबूत बनाती है और फूट हमें कमजोर करती है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि ज्यादातर विपक्षी दलों को एकजुट होने के लिए नया कारण मिल गया और उन्होंने एक-दूसरे के वोट काटना बंद कर दिया, तो भाजपा के लिए 2024 के चुनाव में बहुमत हासिल करना बहुत मुश्किल हो सकता है।
राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने का संज्ञान लेने के लिए जर्मनी को धन्यवाद देने संबंधी कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि वह अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता को ऐसा न कहने की सलाह देते।
थरूर ने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करना और भारत के लिए प्रेस में नकारात्मक खबर (नरेंद्र) मोदी और उनकी सरकार के लिए हैरानी की बात नहीं होगी। इस (मोदी) सरकार की लोकतांत्रिक साख को लेकर शंकाएं कुछ साल से बढ़ रही हैं, जैसा वैश्विक मीडिया में नजर आता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, इसके बावजूद मैं अत्यंत सम्मानित अपने वरिष्ठ पार्टी सहयोगी एवं मित्र को ऐसा न कहने की सलाह देता। कांग्रेस दृढ़ता से हमेशा यह बात मानती आई है कि 200 वर्ष तक औपनिवेशिक शासन के अधीन रहने के बाद हमें अब किसी विदेशी संरक्षण की न तो आवश्यकता है और न ही हम इसे स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह गर्व की भावना हर भारतीय के मन में गहरी समाई हुई है। उन्होंने कहा, हम अपनी समस्याओं को सुलझाने में पूरी तरह सक्षम हैं। तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा, मुझे भरोसा है कि भारत के लोग लोकतंत्र और यह तय करने के अधिकार के लिए वोट करेंगे कि उनका शासन कौन संभालेगा।
थरूर ने राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने और उसके बाद दिखी विपक्षी दलों की एकता पर कहा कि इस फैसले ने विपक्षी एकता की आश्चर्यजनक और स्वागतयोग्य लहर पैदा की है, क्योंकि अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस के पारंपरिक विरोधी दल उसके समर्थन में आगे आए हैं, जैसे- दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP), पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (TMC), उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP), तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) और केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)।
उन्होंने कहा, कई (विपक्षी दलों) को इस सूक्ति की अहमियत समझ आने लगी है कि एकता हमें मजबूत बनाती है और फूट हमें कमजोर करती है, यदि वे अब राहुल का समर्थन नहीं करेंगे, तो प्रतिशोध लेने वाली सरकार एक-एक करके उन्हें भी निशाना बना सकती है।
थरूर ने दावा किया कि यदि सूरत अदालत का फैसला भारत में विपक्ष को और एकजुट करता है, तो यह उस सत्तारूढ़ दल के लिए बुरा समाचार हो सकता है, जिसने 2019 के चुनाव में मात्र 37 प्रतिशत मत प्रतिशत के बावजूद 60 प्रतिशत से अधिक लोकसभा सीट पर चुनाव जीता था।
उन्होंने कहा, शेष मत उन 35 विजयी दलों को गए, जिन सभी का मौजूदा संसद में प्रतिनिधित्व है। यदि उनमें से ज्यादातर को अब एकजुट होने का एक नया कारण मिल गया है और वे एक-दूसरे के वोट काटना बंद कर देते हैं, तो भाजपा के लिए 2024 में जीत हासिल करना काफी मुश्किल हो जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि 2024 में भाजपा से मुकाबला करने के लिए क्या कांग्रेस विपक्षी गठबंधन का केंद्रबिंदु होगी, उन्होंने कहा, वस्तुत: हम राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी वाली एकमात्र पार्टी हैं। करीब 200 सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सभी अन्य विपक्षी दल किसी न किसी राज्य में मजबूत हैं और एक या दो अन्य राज्यों में उनकी मौजूदगी है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में हम वास्तविक केंद्रबिंदु होंगे, जिसके चारों ओर विपक्ष एकजुट होकर विश्वसनीय विकल्प मुहैया करा सकता है।
थरूर ने कहा, लेकिन यदि मैं पार्टी नेतृत्व में होता, तो इस बात को लेकर शेखी बघारने के बजाय किसी छोटे दल को विपक्षी गठबंधन के संयोजक की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता। मेरे नजरिए से ऊंचे ओहदे की अपेक्षा एकता ज्यादा जरूरी है।
उन्होंने कहा कि हर कोई जानता है कि कांग्रेस किसका प्रतिनिधित्व करती है और उसे अपनी पहचान पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है। थरूर ने कहा कि थोड़ी सी विनम्रता अन्य दलों को जीतने में दीर्घकालिक भूमिका निभाएगी। थरूर ने पिछले साल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था, लेकिन वह मल्लिकार्जुन खरगे से हार गए थे।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह राहुल गांधी को लोकसभा सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने और उनकी दादी एवं पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1970 के दशक में सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहराए जाने के बीच कोई समानता देखते हैं, थरूर ने कहा कि अयोग्य ठहराए जाने की निंदनीय कार्रवाई एवं कारावास की सजा के बाद राहुल गांधी के प्रति आमजन की सहानुभूति को लेकर कोई शक नहीं है।
उन्होंने कहा कि लोगों को लगता है कि बड़े विपक्षी दल के प्रमुख नेता को कारावास की सजा देना और संसद में अपनी बात रखने से वंचित कर देना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, यहां तक कि भाजपा को अपना मत देने वाले कई लोगों का भी कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए बहुत नुकसानदेह है। थरूर ने कहा कि यह मामला अब केवल किसी एक व्यक्ति या एक दल का नहीं है, यह हर प्रतिभागी को समान अवसर देकर लोकतंत्र की रक्षा करने का सवाल है।
कांग्रेस नेता ने कहा, सत्तर के दशक में जो हुआ था, मैं उससे तुलना करने को लेकर हमेशा सावधान रहता हूं, लेकिन काल और ऐतिहासिक राजनीतिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न हैं, हमें निश्चित ही यह उम्मीद और अपेक्षा है कि लोगों की यह सहानुभूति चुनाव में समर्थन के रूप में दिखेगी।
भाजपा द्वारा राहुल गांधी को बार-बार निशाना बनाए जाने को लेकर थरूर ने कहा कि उन्हें लगता है कि भाजपा कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा पैदा की गई सकारात्मक ऊर्जा से चिंतित हो गई है।
उन्होंने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि लोकसभा की कार्यवाही से अपने भाषण का अंश हटाए जाने की घटना से राहुल गांधी ने देश का ध्यान खींचा है, इसीलिए उन्हें राजनीतिक रूप से चुप कराने का फैसला लिया गया। थरूर ने दावा किया कि राहुल गांधी का कई साल तक उपहास उड़ाने के बाद उन्हें (भाजपा को) समझ आ गया है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष (उनके लिए) बड़ा खतरा हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)