मनी लॉन्ड्रिंग केस में रॉबर्ट वाड्रा पर ED का शिकंजा, 2 कंपनियों से 58 करोड़ की अवैध कमाई का आरोप
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के व्यवसायी पति रॉबर्ट वाड्रा ने हरियाणा के गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 2008 में हुए 'धोखाधड़ी' वाले जमीन सौदे के मामले में पूछताछ के दौरान 'टाममटोल भरे' जवाब दिए और पूरा दोष अपने तीन दिवंगत सहयोगियों पर डाल दिया। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने आरोप-पत्र में यह दावा किया है।
इन आरोपों का उल्लेख करते हुए 332 पृष्ठों का आरोपपत्र संघीय जांच एजेंसी ने 17 जुलाई को दिल्ली स्थित विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में दाखिल किया था। ईडी ने आरोप लगाया कि 56 वर्षीय वाड्रा को भूमि सौदे में अपराध से अर्जित आय के रूप में 58 करोड़ रुपए मिले।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि कथित धनशोधन से जुड़े रियल एस्टेट लेन-देन में रॉबर्ट वाद्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के माध्यम से हरियाणा सरकार के अधिकारियों पर अनुचित दबाव डाला। राउज एवेन्यू अदालत के विशेष न्यायाधीश (पीसी अधिनियम) सुशांत चंगोत्रा ने 2 अगस्त को अभियोजन पक्ष की शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले ईडी के आरोप-पत्र में नामित सभी 11 आरोपियों को नोटिस जारी किया और मामले को 28 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया।
न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि आरोप-पत्र की एक प्रति आरोपियों के साथ साझा की जाए। ईडी द्वारा लगाए गए आरोपों पर वाड्रा की कानूनी टीम की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है। वाड्रा के खिलाफ धनशोधन का मामला गुरुग्राम पुलिस द्वारा सितंबर, 2018 में दर्ज की गई एक प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वाद्रा ने अपनी कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से 12 फरवरी 2008 को ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड से 7.5 करोड़ रुपए में झूठी घोषणा के माध्यम से फर्जीवाड़ा कर सेक्टर 83 (गुरुग्राम) के शिकोहपुर गांव में स्थित 3.53 एकड़ जमीन की खरीद की।
एजेंसी का आरोप है कि वाड्रा ने अपने व्यक्तिगत प्रभाव के जरिए उक्त भूमि पर वाणिज्यिक लाइसेंस भी प्राप्त किया। उस समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा नीत कांग्रेस की सरकार थी। 4 साल बाद सितंबर 2012 में, कंपनी ने यह जमीन रियल्टी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दी।
यह भूमि सौदा अक्टूबर 2012 में विवादों में घिर गया जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और तत्कालीन भूमि चकबंदी और भूमि अभिलेख महानिदेशक-सह-पंजीकरण महानिरीक्षक अशोक खेमका ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और कुछ संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल खारिज रद्द कर दिया। भाषा Edited by : Sudhir Sharma