प्रधानमंत्री ने दिए संकेत, लोक-लुभावन नहीं होगा बजट
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संकेत दिया कि इस वर्ष का आम बजट लोक-लुभावन नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक मिथक है कि आम आदमी सरकार से मुफ्त की चीजों की अपेक्षा रखता है। प्रधानमंत्री ने अंग्रेजी चैनल को दिए इंटरव्यू में यह बात कही।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार सुधार के अपने एजेंडे पर चलती रहेगी, क्योंकि इस कारण भारत दुनिया की 'पांच सबसे दुर्बल' अर्थव्यवस्थाओं की श्रेणी से बाहर आ सका है। नोटबंदी को बहुत बड़ी सफलता बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ एक करेंसी नोट को दूसरे से बदलने का मामला नहीं था, बल्कि इस कदम से दुनियाभर में भारत, उसकी सरकार और रिजर्व बैंक का सम्मान बढ़ा है।
जीएसटी के मसले पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस 'वन नेशन वन टैक्स' सिस्टम की खामियों को दुरुस्त करने के लिए तैयार है। जीएसटी का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे लोग संसद का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि 1961 में आयकर कानून आने के बाद से उसमें कितने बदलाव करने पड़े।
बढ़ें हैं रोजगार : इसी तरह जीएसटी भी नई प्रणाली है और सरकार पहले दिन से कह रही है कि लोगों को नई प्रणाली का अभ्यस्त होने में कुछ समय लगेगा। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के उन आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया कि देश में रोजगारविहीन विकास हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजगार सृजन को लेकर 'झूठ' फैलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संगठित क्षेत्र में सिर्फ 10 प्रतिशत रोजगार ही उपलब्ध हैं। शेष 90 प्रतिशत रोजगार असंगठित क्षेत्र से जुड़े हैं और असंगठित क्षेत्र से जुड़े रोजगार के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले एक साल में 70 लाख नए रिटायरमेंट फंड या ईपीएफ अकाउंट खुले हैं। क्या यह रोजगार सृजन को नहीं दर्शाते। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और राजनीतिक पार्टियों को न्यायपालिका के संकट से दूर रहना चाहिए। न्यायपालिका का इतिहास बेहद शानदार रहा है और इसमें बेहद सक्षम लोग हैं। वे मिल-बैठकर समस्याओं के हल निकालेंगे।