प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत की तरफ से शांति के हर प्रयास का जवाब पाकिस्तान ने शत्रुता और विश्वासघात से दिया और उम्मीद जताई कि उसे सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा। लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी सिखाया है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) भी वही सिखाता है।
उन्होंने कहा कि मैंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित किया था, लेकिन शांति के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला। हम पूरी उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान को सद्बुद्धि आएगी और वह शांति का मार्ग अपनाएगा।
मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि पाकिस्तान के लोग भी शांति चाहते हैं क्योंकि वे भी संघर्ष, अशांति और निरंतर आतंक में रहते हुए थक गए होंगे, जहां मासूम बच्चे भी मारे जाते हैं और अनगिनत जिंदगियां बर्बाद हो जाती हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने का उनका पहला प्रयास सद्भावना का संकेत था। उन्होंने कहा कि यह कूटनीतिक कदम था, जो दशकों में नहीं देखा गया। जिन लोगों ने कभी विदेश नीति के प्रति मेरे दृष्टिकोण पर सवाल उठाया था, वे उस समय अचंभित रह गए, जब उन्हें पता चला कि मैंने दक्षेस देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया और हमारे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने संस्मरण में उस ऐतिहासिक भाव को खूबसूरती से कैद किया है।
मोदी ने कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि भारत की विदेश नीति कितनी स्पष्ट और आश्वस्त हो गई है। उन्होंने कहा कि इसने दुनिया को शांति और सद्भाव के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में एक स्पष्ट संदेश भेजा, लेकिन हमें वांछित परिणाम नहीं मिले।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जब भी शांति की बात करता है] तो आज दुनिया उसकी बात सुनती है, क्योंकि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है। उन्होंने कहा कि उनकी ताकत उनके नाम में नहीं है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों और देश की शाश्वत संस्कृति एवं विरासत के समर्थन में निहित है।
आरएसएस के साथ उनके संबंधों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने ऐसे सम्मानित संगठन से जीवन के सार और मूल्यों को सीखा। उन्होंने कहा, मुझे जीवन का उद्देश्य मिला। उन्होंने कहा कि बचपन में आरएसएस की शाखाओं में शामिल होना, उन्हें हमेशा अच्छा लगता था।
उन्होंने कहा कि मेरे मन में हमेशा एक ही लक्ष्य था, देश के काम आना। यही मुझे संघ (आरएसएस) ने सिखाया है। आरएसएस की स्थापना के इस वर्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। दुनिया में आरएसएस से बड़ा कोई स्वयंसेवी संगठन नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आरएसएस को समझना कोई आसान काम नहीं है।
उन्होंने कहा कि यह अपने स्वयंसेवकों को जीवन का एक उद्देश्य देता है। यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है। हमारे वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो कुछ भी सिखाया है, संघ भी यही सिखाता है।
ट्रंप के बारे में क्या बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है और वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं।
लेक्स फ्रिडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया, जिसने अपने फैसले खुद किए और जो अमेरिका के प्रति अटूट रूप से समर्पित रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उनका यह समर्पण उस वक्त भी दिखा जब पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान एक बंदूकधारी ने उन्हें गोली मार दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में पहले की तुलना में कहीं अधिक तैयार दिखाई दे रहे हैं।
मोदी ने राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बारे में कहा, उनके दिमाग में सुपरिभाषित कदमों के साथ स्पष्ट रोडमैप है, हर रोडमैप उन्हें उनके लक्ष्यों की ओर ले जाने के लिए तैयार किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें ट्रंप की टीम के सदस्यों से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि उन्होंने मजबूत और सक्षम टीम बनाई है। और इतनी मजबूत टीम के साथ, मुझे लगता है कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण को लागू करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
इस दौरान, उन्होंने उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी और एलन मस्क के साथ अपनी बैठकों को याद किया। प्रधानमंत्री ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में खचाखच भरे एनआरजी स्टेडियम में आयोजित हाउडी मोदी सामुदायिक कार्यक्रम को याद किया और बताया कि किस तरह ट्रंप ने दर्शकों के बीच बैठकर उनका भाषण सुना था।
उन्होंने कहा, यह उनकी विनम्रता है। जब मैं मंच से बोल रहा था तब अमेरिका के राष्ट्रपति श्रोताओं में बैठे थे। यह उनका शानदार भाव था। प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि कैसे अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था में उस समय खलबली मच गई थी जब उन्होंने ट्रंप से दर्शकों का अभिवादन करने के लिए खचाखच भरे स्टेडियम का दौरा करने को कहा था और वह बिना किसी हिचकिचाहट के सहमत हो गए थे।
उन्होंने कहा, उनकी पूरी सुरक्षा सकते में आ गई थी। लेकिन मेरे लिए वह क्षण वास्तव में दिल को छू लेने वाला था। इससे पता चला कि इस आदमी में हिम्मत है। वह अपने फैसले खुद करते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उस पल में मुझ पर और मेरे नेतृत्व पर भरोसा किया कि वह मेरे साथ भीड़ के बीच चले गए।
मोदी ने कहा, यह आपसी विश्वास की भावना थी, हमारे बीच एक मजबूत बंधन था जो मैंने उस दिन वास्तव में देखा। और जिस तरह से मैंने उस दिन राष्ट्रपति ट्रम्प को सुरक्षा के बिना हजारों की भीड़ में चलते देखा, वह वास्तव में अद्भुत था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने उसी लचीले और दृढ़ ट्रंप को देखा जब अमेरिकी चुनाव अभियान के दौरान उन पर गोली चलाई गई थी। उन्होंने कहा, गोली लगने के बाद भी वह अमेरिका के लिए अटूट रूप से समर्पित रहे। उनका जीवन अपने राष्ट्र के लिए है। इसने उनकी अमेरिका फर्स्ट भावना को दिखाया, जैसे मैं राष्ट्र प्रथम में विश्वास करता हूं', भारत पहले।
उन्होंने कहा, मेरे लिए भारत पहले है। यही वजह है कि हम एक-दूसरे से इतने अच्छे से जुड़े। ये ऐसी चीजें हैं जो वास्तव में प्रतिध्वनित होती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनियाभर में नेताओं को मीडिया में इतना अधिक कवरेज मिलता है कि लोग उन्हें ज्यादातर मीडिया के चश्मे से देखते हैं। भाषा Edited by : Sudhir Sharma