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Last Updated : शनिवार, 18 जनवरी 2020 (10:17 IST)

फूलन देवी : बदले की आग ने बनाया डकैत, चंबल से संसद तक का सफर, पढ़िए दस्यु सुंदरी की दहशत की कहानी

फूलन देवी : बदले की आग ने बनाया डकैत, चंबल से संसद तक का सफर, पढ़िए दस्यु सुंदरी की दहशत की कहानी - phoolan devi story in hindi
कानपुर देहात के बेहमई गांव में 39 साल पहले हुए हत्याकांड का सेशन कोर्ट आज फैसला सुना सकता है। इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी फूलन देवी थी। वह फूलन देवी जिसके नाम से पूरे चंबल में दशहत हुआ करती थी।
 
क्या था बेहमई हत्याकांड : 14 फरवरी 1981 को फूलन ने अपने 35 साथियों के साथ बेहमई के 26 लोगों पर 5 मिनट में सैकड़ों गोलियां बरसाईं थीं। इनमें से 20 की मौत हो गई थी। फूलन देवी की मौत के बाद उसका नाम हटा दिया गया था। इसके बाद 5 आरोपियों श्याम बाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह पर केस चलाया गया। इसमें से राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई। पोशा जेल में है। 3 आरोपी जमानत पर हैं।
 
सिल्वर स्क्रीन पर कहानी : दस्यू सुंदरी फूलन देवी ने चंबल की बीहड़ों से लेकर संसद तक का सफर तय किया। वह फूलन देवी जिसके जीवन की कहानी को शेखर कपूर ने 'बैंडिन क्वीन' फिल्म बनाकर सिल्वर स्क्रीन पर भी दिखाया। 80 के दशक में फूलन देवी की दहशत चरम पर थी। फूलन के नाम पर सरकार तक हिल जाती थी।
 
सिर्फ 11 साल की उम्र हो गई थी शादी : फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 में यूपी के जालौन जनपद के एक छोटे से गाँव गोरहा में हुआ था। फूलन के पिता एक मल्लाह थे। फूलन देवी की शादी 11 साल की उम्र में ही कर दी गई थी। कुछ समय बाद फूलन को उसके पति ने छोड़ दिया। 
 
बचपन के अत्याचारों ने बनाया डकैत : बचपन में फूलन पर हुए अत्याचार और सगे चाचा द्वारा पिता की जमीन हड़प लेने और बलात्कार घटनाओं ने मिलकर फूलन देवी को एक डकैत बनने पर मजबूर कर दिया। जुल्म का बदला लेने के लिए फूलन देवी हथियार लेकर चंबल में कूद पड़ीं। चंबल में उस समय विक्रम मल्लाह गैंग की दहशत थी, लेकिन जल्द ही चंबल के बीहड़ों में दस्यु सुंदरी फूलन का नाम गूंजने लगा। 
 
बदला था बेहमई हत्याकांड : बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई हत्याकांड को अंजाम दिया। इसी वारदात के बाद फूलन बैंडिट क्वीन कहलाने लगी। हालांकि जिस जमीन के लिए फूलन बैंडिट क्वीन बनी.. वह उसके परिवार को आज भी नहीं मिल सकी है। बेहमई कांड के 2 साल बाद भी पुलिस फूलन देवी को नहीं पकड़ सकी थी। 
आत्मसमर्पण के लिए सरकार ने मनाया : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार ने फूलन देवी को आत्मसमर्पण और बातचीत के लिए विवश किया था। 1983 में फूलन देवी ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण को लेकर फूलन ने एक शर्त रखी कि वह पुलिस के अधिकारियों के सामने हथियार नहीं रखेगीं। फूलन देवी ने कहा कि वे अपने हथियार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और दुर्गा माता के सामने ही समर्पण करेगी।
 
मुलायम लेकर आए राजनीति में : 1996 में फूलन देवी उत्तरप्रदेश की भदोही लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बनी और दिल्ली पहुंची। समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव उन्हें राजनीति में लेकर आए। फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को दिल्ली स्थित उनके आवास के बाहर ही शेर सिंह राणा नाम के व्यक्ति ने हत्या कर दी थी। (Photo courtesy: Twitter)
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