आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल के 9 साल पूरे हो रहे है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की थी और 26 मई को नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार शपथ ली थी।
2014 में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाकर सत्ता में वापस लाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब पहली बार संसद पहुंचे थे तो उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर (संसद) को साष्टांग किया था। मोदी के संसद को साष्टांग करते हुए तस्वीरों ने करोड़ों भारतवासियों का उन पर एक अटल विश्वास बना दिया था। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के 9 साल पूरे कर रहे है तो देश में नए संसद भवन को लेकर एक नई बहस छिड़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। लोकतंत्र के नए मंदिर संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्ष ने विरोध की नई महाभारत छेड़ दी है। कांग्रेस समेत 21 विपक्षी दलों ने नई संसद के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का एलान कर दिया है। विपक्षी दलों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि जब संसद से लोकतंत्र की आत्मा ही खींच ली गई हो, ऐसे में हमें नई इमारत की कोई कीमत नजर नहीं आती है। कांग्रेस की अगुवाई में कार्यक्रम का बहिष्कार करने वालों में आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल-यूनाइटेड (JDU), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP), सपा और शिवसेना (UBT) शामिल हैं।
नई संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उद्घाटन करें। विपक्ष का आरोप है कि संसद के अंग राष्ट्रपति के हाथों नए भवन का उद्घाटन न होना, देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके दूसरे कार्यकाल के लिए देश की जनता ने जिस तरह प्रचंड बहुमत दिया था उसके बाद मोदी सरकार से लोगों की उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती जनता से किए अपने वादों को पूरा करना है। मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर आज कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र से 9 सवाल पूछ कर उनको घेरने की पूरी कोशिश की है।
विपक्ष दलों के संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का जवाब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार में नंबर-2 की गृहमंत्री अमित शाह दे रहे है। विदेशी दौरों से लौटने के बाद प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि साथियों आपको जान कर खुशी होगी कि भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलिया के पीएम का आना हम सभी के लिए गौरव की तो बात है ही, लेकिन इतना ही नहीं, उस समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री भी थे। विपक्ष के सांसद थे,सत्ता पक्ष के सांसद थे। सब के सब मिलजुल कर भारतीय समुदाय के इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के बहिष्कार के फैसले को नकारात्मक रवैया बताते हुए कहा कि कांग्रेस और विपक्ष शासित राज्यों में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां संबंधित राज्यपालों के बजाय संबंधित मुख्यमंत्रियों और सोनिया गांधी व राहुल गांधी जैसे कांग्रेस नेताओं द्वारा नए विधानसभा भवनों की आधारशिला रखी गई।
9 सालों से देश की बागडोर संभालने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व और कार्यशैली बेशक आज उनको एक अलग पायदान पर खड़ा करता है। बीते दो लोकसभा चुनाव में जनता ने जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना विश्वास जताया है उससे देश की सियासत में उनकी बराबरी करने वाला कोई नेता विरोधी दलों में फिलहाल नजर नहीं आता है। देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी एक ऐसा नाम है जिसके सियासी कद के समाने हर कोई छोटा नजर आता है,लेकिन अब जब लोकसभा चुनाव में एक साल का वक्त ही बाकी बचा है तो कांग्रेस के साथ पूरा विपक्ष मोदी पर सीधा हमलावर है।
लोकतंत्र में विपक्ष की अपनी एक भूमिका और महत्व होता है। एक स्वस्थ लोकंतत्र के लिए जरूरी है कि सरकार लोगों के साथ-साथ विपक्ष का भी विश्वास जीते। मोदी सरकार के बीते 9 सालों में उसकी विपक्ष से दूरी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आज मोदी सरकार और विपक्ष के बीच एक ऐसी खाई बनती दिख रही है जिसे एक स्वस्थ लोकंतत्र के लिए किसी भी तरीके से उचित नहीं कहा जा सकता।