इंदौर। आने वाले समय में हो सकता है एक और नोटबंदी हो और 2000 के नोट भी बंद हो जाएंगे। यह संभावना जताई है नोटबंदी के विचार के जनक कहे जाने अर्थक्रांति संस्था के प्रमुख अनिल बोकिल ने। बोकिल ने कहा कि पैसा कभी व्यक्तिगत संपत्ति नहीं हो सकता। जब लोग इसे कालेधन के रूप में जमा करने लगते हैं तो यह समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े गरीब और किसान के पास नहीं पहुंच पाता। यह माध्यम है इसका उपयोग करो और छोड़ दो। नोटबंदी देश और समाज की जरूरत थी।
इंदौर में आईसीए भवन में सीए और अन्य गणमान्य लोगों के बीच अनिल बोकिल ने नोटबंदी की जरूरत और असर पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सरकार का खजाना किसी बहुमंजिला इमारत के ऊपर बने टैंक की तरह है। इस टैंक से पानी यानी बेहतरी के लिए धन समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए। अभी यह हो रहा था कि नीचे से ऊपर सप्लाय के पाइप में एक ओर ब्लैकमनी के छेद थे तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार के। इसका असर यह हो रहा था कि सरकार का टैंक खाली और नागरिकों को सुविधा की सप्लाय नहीं मिल रही थी।
कालेधन से राजनेता और भ्रष्ट ब्यूरोक्रेट का गठबंधन बनता है। आखिरी कोने पर खड़ा किसान, गरीब युवा हक नहीं मिलने से या तो आत्महत्या करता है या दाऊद, नक्सली बनता है। ब्लैकमनी और भ्रष्टाचार अनअकाउंटेड पैसे से चलता है। नोटबंदी से इस तरह का पैसा सिस्टम में आ गया है। अब सारा धन ट्रेसेबल हो गया है। अब इसके फुटप्रिंट सरकार देख सकती है।