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Last Updated :पटना , शनिवार, 27 मई 2023 (23:30 IST)

नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए नी‍तीश, केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार

Nitish Kumar
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया, जहां वह जातिगत जनगणना और राज्य के लिए विशेष दर्जे जैसे मुद्दे को उठाना चाहते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बैठक के समय में परिवर्तन करने के उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया।

नीतीश की पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जद-यू) उन दलों में शामिल है, जो नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं। नीतीश ने रविवार को आयोजित होने वाले उद्घाटन समारोह को उन लोगों द्वारा ‘इतिहास बदले’ जाने का प्रयास करार दिया, जिनका स्वतंत्रता संघर्ष में कोई योगदान नहीं है।

वरिष्ठ समाजवादी नेता नेता और अब कांग्रेस के सहयोगी नीतीश ने कहा, हम बचपन से ही पंडित नेहरू का सम्मान करते आए हैं, हालांकि राजनीतिक रूप से मैंने एक अलग राह का अनुसरण किया।

प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के इतर नीतीश ने कहा, जब मुझे नीति आयोग की बैठक के कार्यक्रम का ब्योरा मिला, तो मैंने बैठक के समय में बदलाव का अनुरोध किया, क्योंकि उसका समय यहां के कार्यक्रम से टकरा रहा था। लेकिन केंद्र सरकार ने बैठक के समय में बदलाव नहीं किया। यहां तक कि यदि वे बैठक को दोपहर बाद आयोजित करने पर सहमत गए होते, तो भी मैं उसमें शामिल होने में सक्षम होता।

नीतीश ने कहा कि उन्होंने राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए कुछ अन्य लोगों के नाम भेजे थे, लेकिन इसे ठुकरा दिया गया। उन्होंने कहा कि इसलिए बैठक में बिहार का प्रतिनिधित्‍व नहीं हो सका। बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अखबारों में यह पढ़कर चकित रह गए कि पांच अन्य राज्यों को किसी ना किसी कारण से नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से वंचित कर दिया गया।

उन्होंने कहा, यदि मैं बैठक में रहा होता, तो मैं निश्चित रूप से जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता, राज्य स्तर पर हमारी ओर से शुरू किए गए सर्वे को प्रभावित करने वाली कानूनी बाधा की ओर इंगित करता। अंतत: हमने सर्वे केंद्र के यह कहने के बाद किया कि वह जातिगत जनगणना नहीं कराएगी, लेकिन राज्य सरकार लोगों की गणना करने के लिए स्वतंत्र हैं।

कुमार ने कहा, मैं लंबे समय से लंबित बिहार के लिए विशेष दर्जे के मुद्दे और गरीब राज्यों के लिए अधिक केंद्रीय मदद के मुद्दे को भी उठाता। नीतीश ने कहा, पहली बात, नए संसद भवन की जरूरत ही नहीं है। उन्होंने भाजपा और मोदी का नाम लिए बगैर कहा, जो लोग इस समय सत्ता में हैं, वे इतिहास का सम्मान नहीं करते। यह उन लोगों द्वारा इतिहास बदलने का प्रयास है, जिनका स्वतंत्रता संघर्ष में कोई योगदान नहीं है।

भारतीय रिजर्व बैंक के 2000 रुपए के नोटों को चलन से बाहर करने पर कुमार ने कहा, मैं यह नहीं समझ पा रहा कि वे क्या हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। 1000 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य करने के बाद उन्हें नए लाने चाहिए थे, लेकिन उन्होंने 2000 रुपए के नोट पेश किए। अब ये भी वापस ले रहे हैं। केवल वे ही बता सकते हैं कि उनकी मंशा क्या है। गौरतलब है कि नीतीश ने वर्ष 2016 में नोटबंदी का समर्थन किया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)