नई दिल्ली। केन्द्रीय शिक्षामंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के परिणाम की घोषणा 16 अक्टूबर को की जाएगी। कोविड-19 संक्रमण या निरूद्ध क्षेत्र पाबंदियों के कारण परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए छात्रों को 14 अक्टूबर को इसमें शामिल होने का एक मौका मिलेगा।
निशंक ने ट्वीट किया, डीजी_एनटीए 16 अक्टूबर 2020 को नीट परिणाम की घोषणा करेगा। परिणामों का सटीक समय बाद में सूचित किया जाएगा। मैं सभी अभ्यर्थियों को शुभकामनाएं देता हूं।कोविड-19 महामारी के मद्देनजर एहतियाती कदमों के बीच 13 सितम्बर को नीट परीक्षा आयोजित की गई थी।
इस वर्ष 11 भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु और उर्दू में यह परीक्षा कराई गई थी। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार 77 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने अंग्रेजी में लगभग 12 प्रतिशत ने हिंदी में और 11 प्रतिशत ने अन्य भाषाओं में परीक्षा दी। इससे पहले महामारी के कारण दो बार परीक्षा को स्थगित किया गया था।
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने महामारी के मद्देनजर मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का सख्ती से पालन कराया था। एनटीए ने भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करने के वास्ते इस वर्ष परीक्षा केन्द्रों की संख्या बढ़ाकर 3,862 कर दी थी, जबकि 2019 में यह संख्या 2,546 थी। नीट परीक्षा वैसे तीन मई को निर्धारित थी लेकिन बाद में परीक्षा को 26 जुलाई को कराने और फिर 13 सितम्बर को कराया जाना तय किया गया था।
छूटे उम्मीदवारों के लिए 14 अक्टूबर को परीक्षा कराने का आदेश : उच्चतम न्यायालय ने कोरोना संक्रमण के कारण राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) देने में असमर्थ रहे छात्रों को दोबारा मौका देने का सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय खंडपीठ ने नीट परीक्षा आयोजित करने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को 14 अक्टूबर को परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया।
खंडपीठ का यह आदेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की हामी के बाद आया। खंडपीठ में न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम भी शामिल थे। गौरतलब है कि न्यायालय ने विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों के समूह की वह याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने नीट परीक्षा रद्द करने का न्यायालय से अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ताओं ने कोरोना संक्रमण का हवाला देकर परीक्षा रोकने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन न्यायालय ने उसे ठुकरा दिया था। उसके बाद परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन कुछ संक्रमित या कंटेनमेंट जोन के उम्मीदवार परीक्षा से वंचित रह गए थे।
छूटे उम्मीदवारों की दलील थी कि कई ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनका यह अंतिम मौका है, इसलिए उनके करियर को ध्यान में रखते हुए उन्हें दोबारा मौका दिया जाए। इस याचिका पर न्यायालय ने गम्भीरता से विचार किया और 14 अक्टूबर को ऐसे उम्मीदवारों को मौका देने का केंद्र को आदेश दिया।(भाषा)