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Last Modified: रविवार, 5 फ़रवरी 2023 (00:00 IST)

SC में लिविंग विल को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई, प्रक्रिया के कार्यान्वयन को किया आसान

Supreme court
नई दिल्ली। मरणासन्न रोगियों के लिए अग्रिम चिकित्सा निर्देशों को लागू करने में आने वाली 'दुर्गम बाधाओं' को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे और अधिक व्यावहारिक बनाने के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया है। ‘लिविंग विल’ जीवन के अंतिम समय में उपचार को लेकर एक अग्रिम चिकित्सा निर्देश है।
 
निष्क्रिय इच्छामृत्यु पर सर्वोच्च न्यायालय के 2018 के आदेश में गरिमा के साथ मरने के अधिकार को मौलिक अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के एक पहलू के रूप में मान्यता दी गयी थी, इसके बावजूद, 'लिविंग विल' पंजीकृत करने के इच्छुक लोगों को कठिन दिशा-निर्देशों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे शीर्ष अदालत को पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
 
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कई संशोधन जारी करते हुए तंत्र में डॉक्टरों और अस्पतालों की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है।
 
न्यायालय ने कहा है कि जिन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए चिकित्सकों ने आवाज उठाई है और शीर्ष अदालत के लिए अपने दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करना नितांत आवश्यक हो गया है।
 
संविधान पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं।
 
शीर्ष अदालत के 2018 के आदेश के अनुसार, दो गवाहों और प्रथम श्रेणी के एक न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में ‘लिविग विल’ पर इसे तैयार करने वाले व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है।
 
शीर्ष अदालत ने 2018 के अपने फैसले में निर्धारित निष्क्रिय इच्छामृत्यु पर कानून न बनाने के लिए केंद्र सरकार को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि सरकार अपनी विधायी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं कर रही है और न्यायपालिका को दोष दे रही है।
 
यह देखते हुए कि यह एक ऐसा मामला है जिस पर देश के चुने हुए प्रतिनिधियों को बहस करनी चाहिए, न्यायालय ने कहा था कि इसमें अपेक्षित विशेषज्ञता की कमी है और यह पक्षकारों द्वारा प्रदान की गई जानकारी पर निर्भर है।
 
निष्क्रिय इच्छामृत्यु पर अपने ऐतिहासिक आदेश के चार साल से अधिक समय बाद, शीर्ष अदालत "लिविंग विल" पर अपने 2018 के दिशा-निर्देशों को संशोधित करने पर सहमत हुई। भाषा Edited By : Sudhir Sharma
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