खुशखबर! खेल प्रतिभाओं को मोदी ने दी यह बड़ी सौगात
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को बताया कि खेल मंत्रालय ने खेल प्रतिभाओं की खोज करने और उन्हें निखारने के लिए एक खेल प्रतिभा खोज पोर्टल तैयार किया है और सोमवार को इस पोर्टल को पेश किया जाएगा।
आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि खेल मंत्रालय ने खेल प्रतिभा की खोज और उन्हें निखारने के लिए एक खेल प्रतिभा खोज पोर्टल तैयार किया है, जहां पूरे देश से कोई भी बच्चा जिसने खेल के क्षेत्र में कुछ उपलब्धि हासिल की है, उनमें प्रतिभा हो, वो इस पोर्टल पर अपना बायोडाटा या वीडियो अपलोड कर सकता है। चुने गए उभरते हुए खिलाड़ियों को खेल मंत्रालय प्रशिक्षण देगा।
उन्होंने बताया कि मंत्रालय सोमवार को ही इस पोर्टल को पेश करने वाला है। मोदी ने कहा कि हमारे नौजवानों के लिए तो खुशी की खबर है कि भारत में 6 से 28 अक्टूबर तक फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप का आयोजन होने जा रहा है। दुनियाभर से 24 टीमें भारत को अपना घर बनाने जा रही हैं। आइए, विश्व से आने वाले हमारे नौजवान मेहमानों का खेल के उत्सव के साथ स्वागत करें, खेल का आनंद उठाए, देश में एक माहौल बनाएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 29 अगस्त को पूरा देश राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता है। ये महान हॉकी खिलाड़ी और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंदजी का जन्मदिवस है। हॉकी के लिए उनका योगदान अतुलनीय था। मैं इस बात का स्मरण इसलिए करा रहा हूं कि मैं चाहता हूं कि हमारे देश की नई पीढ़ी खेल से जुड़े। खेल हमारे जीवन का हिस्सा बने। अगर हम दुनिया के युवा देश हैं तो हमारी ये तरुणाई खेल के मैदान में भी नजर आनी चाहिए।
जीवन में खेलकूद के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि खेल यानी शारीरिक तंदुरुस्ती, मानसिक फुर्ती, व्यक्तित्व विकास। मैं समझता हूं कि इससे ज्यादा क्या चाहिए? खेल एक प्रकार से दिलों के मेल की एक बहुत बड़ी जड़ी-बूटी है। हमारी देश की युवा पीढ़ी खेल जगत में आगे आए और आज कम्प्यूटर के युग में तो मैं आगाह भी करना चाहूंगा कि खेल के मैदान, खेल के क्षेत्र से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि कम्प्यूटर पर फीफा खेलिए लेकिन बाहर मैदान में भी तो कभी फुटबॉल के साथ करतब करके दिखाइए। कम्प्यूटर पर क्रिकेट खेलते होंगे लेकिन खुले मैदान में आसमान के नीचे क्रिकेट खेलने का आनंद कुछ और होता है।
मोदी ने कहा कि एक समय था, जब परिवार के बच्चे बाहर जाते थे तो मां पहले पूछती थी कि 'तुम कब वापस आओगे?' आज हालत ये हो गई है कि बच्चे घर में आते ही एक कोने में या तो कार्टून फिल्म देखने में लग जाते हैं या तो मोबाइल फोन पर चिपक जाते हैं और तब मां को चिल्ला करके कहना पड़ता है- 'तू कब बाहर जाएगा?' वक्त-वक्त की बात है। वो भी एक जमाना था, जब मां बेटे को कहती थी कि तुम कब आओगे? और आज ये हाल है कि मां को कहना पड़ता है कि बेटा तुम बाहर कब जाओगे? (भाषा)