क्या RSS का पंजीकरण हुआ है, मोहन भागवत ने दिया यह जवाब
Mohan Bhagwat News : बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर उठे सवालों का डॉ. मोहन भागवत ने जवाब दिया है। कार्यक्रम में जब भागवत से सवाल किया गया कि क्या आरएसएस कानूनी प्रामाणिकता और कानूनी बाध्यताओं से बचने के लिए अपंजीकृत है? हम असंवैधानिक नहीं हैं। हम संविधान के दायरे में काम करते हैं। भागवत ने कहा हम 'बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स' के रूप में वर्गीकृत हैं और एक मान्यता प्राप्त संगठन हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि कई चीजें बिना पंजीकरण के मौजूद हैं। यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है। आरएसएस के दृष्टिकोण के बारे में भागवत ने कहा कि हम संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करना चाहते हैं।
खबरों के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर उठे सवालों का मोहन भागवत ने जवाब दिया है। कार्यक्रम में जब भागवत से सवाल किया गया कि क्या आरएसएस कानूनी प्रामाणिकता और कानूनी बाध्यताओं से बचने के लिए अपंजीकृत है? हम असंवैधानिक नहीं हैं। हम संविधान के दायरे में काम करते हैं। भागवत ने कहा, हम 'बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स' के रूप में वर्गीकृत हैं और एक मान्यता प्राप्त संगठन हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि कई चीजें बिना पंजीकरण के मौजूद हैं।
भागवत ने कहा कि यहां तक कि हिंदू धर्म भी पंजीकृत नहीं है। आरएसएस के दृष्टिकोण के बारे में भागवत ने कहा कि हम संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट और संगठित करना चाहते हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस प्रश्न का उत्तर कई बार दिया जा चुका है। जो लोग ऐसे प्रश्न उठाना चाहते हैं, वे उन्हें दोहराते रहते हैं और हमें उत्तर देते रहना होगा।
भागवत ने कहा कि संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करना हमारा कार्य है और हम इसे पूरा करेंगे। भागवत ने कहा कि संघ की शुरुआत 1925 में हुई थी। क्या आप हमसे यह उम्मीद करते हैं कि हम ब्रिटिश सरकार के साथ पंजीकृत होंगे। भागवत ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि हमें 3 बार प्रतिबंधित किया गया, जिसका अर्थ है कि सरकार हमें मान्यता देती है। अगर हमारा अस्तित्व ही नहीं था तो उन्होंने किस पर प्रतिबंध लगाया? कानूनी और तथ्यात्मक रूप से, हम एक संगठन हैं। हम असंवैधानिक नहीं हैं।
भागवत ने कहा कि हिंदू होने का अर्थ है, भारत माता के वंशज, भारत के लिए जिम्मेदार। जो भी भारत के लिए लड़े, वे सभी हिंदू हैं। सभी मुसलमान और ईसाई के पूर्वज भी इसी भूमि के रहे हैं, इसलिए वे सभी भी हिंदू हैं। भागवत ने कहा कि संघ एक अद्वितीय संगठन है। पूरी दुनिया में इसके समान कोई नहीं है। संघ न तो किसी परिस्थिति की प्रतिक्रिया है और न ही विरोध। संघ का उद्देश्य विनाश नहीं, बल्कि पूर्णता की स्थापना है।
Edited By : Chetan Gour