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Last Modified: शनिवार, 27 अगस्त 2022 (22:30 IST)

Jharkhand : खूंटी में 4 घंटे की सियासी पिकनिक, CM सोरेन के साथ वापस रांची लौटे विधायक

Jharkhand : खूंटी में 4 घंटे की सियासी पिकनिक, CM सोरेन के साथ वापस रांची लौटे विधायक - MLA returned to Ranchi after having a picnic with Chief Minister Hemant Soren
रांची। खनन पट्टा आवंटन के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता को लेकर जारी अनिश्चितता के बीच सोरेन और सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायक शनिवार को खूंटी जिले के 'लतरातू' में कुछ तीन-चार घंटे तक पिकनिक मनाकर रांची लौट आए हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी उपलब्ध 45 विधायकों की आज रात मुख्यमंत्री आवास पर बैठक हुई।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव व मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया, सत्ताधारी गठबंधन के 45 विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में प्रांतीय राजधानी से 38 किलोमीटर दूर खूंटी के पिकनिक स्पॉट ‘लतरातू’ से घूमकर शाम करीब छह बजे वापस रांची रवाना हो गए थे। उन्होंने बताया, सभी विधायक रात आठ बजे सीधे मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे जहां सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों की बैठक हुई।

इससे पहले भट्टाचार्य ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा था, हमारे सभी विधायकों को जाना था रामगढ़ जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ‘पतरातू’ लेकिन जानबूझकर हम उन्हें उल्टी दिशा में खूंटी जिले में ‘लतरातू’ घुमाने ले गए क्योंकि मुख्य विपक्षी भाजपा उसी की भाषा समझती है।

उन्होंने बताया, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों एवं सभी विधायकों को तीन बसों में लेकर दोपहर लगभग दो बजे अपने आवास से निकले थे और खूंटी जिले के इस पर्यटन स्थल पर लगभग तीन घंटे रुकने और आनंद उठाने के बाद सभी शाम छह बजे वापस रांची के लिए रवाना हो गए थे।

भट्टाचार्य ने बताया कि झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन के उपलब्ध सभी 45 विधायकों की मुख्यमंत्री आवास पर आज बैठक होनी है जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय भी उपस्थित होंगे।

इससे पहले यह पूछे जाने पर कि महागठबंधन के 49 विधायकों में से 45 ही क्यों लतरातू घूमने गए, भट्टाचार्य ने कहा, तीन महानुभाव तो कोलकाता में पचास लाख रुपए नकदी के साथ पकड़े जाने के बाद कांग्रेस से निलंबित हैं और अदालत की रोक पर वहीं ठहरने को मजबूर हैं और एक विधायक ममता देवी मातृत्व अवकाश पर हैं।

ज्ञातव्य है कि झारखंड में सत्ताधारी गठबंधन के पास 81 सदस्‍यीय विधानसभा में कुल 49 विधायक अपने हैं और उन्हें कुछ अन्य विधायकों का भी सरकार चलाने के लिए समर्थन प्राप्त है। राज्य विधानसभा में झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के एक विधायक हैं। इसके विपरीत मुख्य विपक्षी भाजपा के कुल 26 विधायक हैं और उसके सहयोगी आज्सू के दो विधायक हैं और उन्हें सदन में दो अन्य विधायकों को समर्थन प्राप्त है।

भट्टाचार्य ने आज यकायक मुख्यमंत्री एवं विधायकों के लतरातू पर्यटन की योजना बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर कहा, भाजपा और उसके एक सांसद लगातार भ्रम फैला रहे हैं कि झारखंड सरकार को बचाने के लिए हम अपने विधायकों को पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ अथवा बिहार ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसी अफवाह का मजाक बनाने के लिए आज हमने यह योजना बनाई क्योंकि और खासकर ‘लतरातू’ नामक पर्यटन स्थल गए क्योंकि भाजपा इसी की भाषा समझती है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी स्थिति में राज्य में झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार को कोई खतरा नहीं है और उनकी पार्टी मुख्यमंत्री सोरेन की विधायकी के बारे में सिर्फ राज्यपाल के माध्यम से चुनाव आयोग के फैसले की प्रतीक्षा कर रही है और जो भी फैसला आएगा उससे निपटने के लिए रणनीति तैयार कर ली गई है।

दूसरी ओर झामुमो के निशाने पर रहने वाले गोड्डा से भाजपा के सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, डराने व भगाने वाले भाजपा नेता मधुबन में प्रशिक्षण दे रहे हैं और नहीं डरने का ड्रामा करने वाले डरकर बसों से भागमभाग कर रहे हैं।

सत्ताधारी विधायकों की लतरातू में नौकायन की तस्वीर साझा करते हुए निशिकांत ने लिखा है, ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री की सदस्यता भ्रष्टाचार में नहीं देश आज़ाद करने में गई है। भ्रष्टाचारी को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देकर जश्न मनाने वाले सभी विधायकों को बधाई।

झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री से लेकर राजनीतिक चुनौतियों से निपटने का सफर : विधायक के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने की आशंका का सामना कर रहे झारखंड के मुख्यमंत्री अब तक के राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव देख चुके हैं।

हेमंत सोरेन अपने पिता एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रमुख शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी के तौर पर उनकी पहली पसंद नहीं थे। हालांकि हेमंत सोरेन को उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन की 2009 में हुई मौत के बाद राजनीति में उतारा गया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को दावा किया था कि शैतानी ताकतें उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही हैं। साथ ही, उन्होंने कहा था कि वह अपने खून की आखिरी बूंद तक लड़ेंगे।

हेमंत का जन्म 10 अगस्त, 1975 को हजारीबाग के पास नेमरा गांव में शिबू सोरेन के घर में हुआ था और उन्होंने पटना हाईस्कूल से 12वीं करने के बाद रांची में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में प्रवेश लिया, लेकिन यहां पढ़ाई पूरी नहीं की।

उन्हें बैडमिंटन खेलना, किताबें पढ़ना और साइकल चलाना पसंद है। हेमंत और उनकी पत्नी कल्पना के दो बच्चे हैं। हेमंत सोरेन कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थन से 2013 में झारखंड के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले वे 2009-2010 में राज्यसभा सदस्य रहे थे।

सोरेन ने भाजपा के नेतृत्व वाली अर्जुन मुंडा सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद संभालने के लिए उच्च सदन से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन दो साल बाद ही भाजपा-झामुमो का गठबंधन टूट गया और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

हालांकि मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल अल्पकालिक रहा, क्योंकि 2014 में भाजपा ने राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया और रघुवर दास मुख्यमंत्री बने थे। साल 2014 में वे झारखंड विधानसभा में जीतकर पहुंचे और नेता प्रतिपक्ष बने।

भाजपा द्वारा 2014-19 के दौरान सोरेन और उनके परिवार पर छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम का उल्लंघन करने का आरोप लगाए जाने के चलते उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि बाद में चुनौतियों से निपटते हुए सोरेन ने पुराने दोस्तों (कांग्रेस और राजद) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया।

अपने सहयोगियों के समर्थन से सोरेन 2019 में सत्ता में आए और उनकी पार्टी झामुमो ने अकेले 30 विधानसभा सीट जीती। सोरेन को ‘आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार’ जैसी नई योजनाओं को शुरू करने का श्रेय दिया जाता है।

उन्होंने दोपहिया वाहन इस्तेमाल करने वाले गरीब और निम्न-मध्यम वर्ग के लोगों के लिए इस साल 26 जनवरी से पेट्रोल पर 25 रुपए प्रति लीटर की राशि देने की भी घोषणा की थी। हाल में मुख्यमंत्री सोरेन ने राज्य के प्रतिभाशाली युवाओं के विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने के सपनों को पूरा करने के लिए छात्रवृत्ति को विस्तार देने की घोषणा की।

उल्लेखनीय है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने हेमंत सोरेन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए और खनन विभाग का दायित्व भी अपने पास रखते हुए, रांची के अनगड़ा में एक खनन पट्टा अपने नाम आवंटित कराया था, जो सीधे तौर पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के तहत अवैध है।

दास ने दावा किया था कि इस मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ लाभ के पद का मामला बनता है। उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की थी।(भाषा)
फोटो सौजन्‍य : टि्वटर
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