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Last Modified: मंगलवार, 15 सितम्बर 2020 (07:12 IST)

ममता सरकार का बड़ा ऐलान, 8000 से अधिक हिन्दू पुजारियों को मिलेगा 1000 रुपए मासिक भत्ता और मुफ्त आवास

ममता सरकार का बड़ा ऐलान, 8000 से अधिक हिन्दू पुजारियों को मिलेगा 1000 रुपए मासिक भत्ता और मुफ्त आवास - mamata banerjee announces monthly allowance free accommodation for brahmin priests
कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने सोमवार को राज्य के 8,000 से अधिक हिन्दू पुजारियों के लिए 1,000 रुपए मासिक वित्तीय सहायता और मुफ्त आवास की घोषणा की।
 
बनर्जी ने यह घोषणा राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले की है जिसके अगले वर्ष अप्रैल-मई में होने की संभावना है। बनर्जी पर विपक्ष अक्सर ‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’ का आरोप लगाता है। राज्य के हिंदीभाषी और आदिवासी मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बनर्जी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी स्थापित करने का निर्णय किया है।
 
उन्होंने यह घोषणा हिंदी दिवस के दिन की जो हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के तौर पर अपनाने की याद में प्रतिवर्ष इस दिन मनाया जाता है। विपक्षी दलों ने इन घोषणाओं को ‘चुनावी हथकंडा’ करार दिया।
 
बनर्जी ने कहा कि हमने पहले सनातन ब्राह्मण संप्रदाय को कोलाघाट में एक अकादमी स्थापित करने के लिए भूमि प्रदान की थी। इस संप्रदाय के कई पुजारी आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हमने उन्हें प्रतिमाह 1,000 रुपए का भत्ता प्रदान करने और राज्य सरकार की आवासीय योजना के तहत मुफ्त आवास प्रदान करके उनकी मदद करने का फैसला किया है।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि इस घोषणा का अन्य कोई मतलब नहीं निकालें। यह ब्राह्मण पुजारियों की मदद करने के लिए किया जा रहा है। उन्हें अगले महीने से भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा क्योंकि यह दुर्गा पूजा का समय है।
 
यह घोषणाएं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा यह आरोप लगाने के एक सप्ताह के भीतर आई है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार की मानसिकता ‘हिंदू विरोधी’ है और वह ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ नीति अपना रही है।
 
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी राज्य सरकार पर ‘अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण’ का आरोप लगाया है।
 
2011 में तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में आने के बाद तब आलोचना का सामना करना पड़ा था जब उसने इमामों के लिए मासिक भत्ते की घोषणा की थी। राज्य सरकार ने तब कहा था कि यह पश्चिम बंगाल के वक्फ बोर्ड द्वारा प्रदान किया जाएगा।
 
हिंदीभाषी लोगों और राज्य के आदिवासी क्षेत्रों के बीच भाजपा के समर्थन के आधार पर सेंध लगाने के प्रयास के तहत राज्य सरकार ने एक हिंदी अकादमी और एक दलित साहित्य अकादमी के गठन की भी घोषणा की।
 
उन्होंने कहा कि हमने पहले सत्ता में आने के बाद एक हिंदी अकादमी का गठन किया था। आज हमने इसका पुनर्गठन करके एक नई हिंदी अकादमी बनाने का फैसला किया है जिसके अध्यक्ष पूर्व (तृणमूल कांग्रेस) राज्यसभा सदस्य विवेक गुप्ता होंगे।
हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं और भाषायी आधार पर कोई पूर्वाग्रह नहीं है। गुप्ता कोलकाता से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के संपादक भी हैं। बनर्जी ने साथ ही अकादमी के 25 सदस्यीय बोर्ड की भी घोषणा की।
 
उन्होंने राज्य के आदिवासी मतदाताओं तक भी पहुंच बनाने का प्रयास किया जिसमें से एक बड़े वर्ग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जंगलमहल क्षेत्र में भाजपा के पक्ष में मतदान किया था। इसमें झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर, बांकुरा और पुरुलिया जिले आते हैं।
 
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की भाषाओं की बेहतरी के लिए हमने एक दलित साहित्य अकादमी का गठन करने का फैसला किया है। दलितों की भाषा का बंगाली भाषा पर प्रभाव है।
 
विपक्षी भाजपा और माकपा ने राज्य सरकार के हिंदू पुजारियों को भत्ते और एक हिंदी अकादमी के गठन के निर्णय की आलोचना की और दावा किया कि यह सब ‘चुनावी हथकंडा’है।
 
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि वे इन सभी वर्षों तक क्या कर रही थीं? उन्होंने इमामों के लिए इसी तरह की सहायता की घोषणा करने पर इस भत्ते की घोषणा क्यों नहीं की? यह और कुछ नहीं बल्कि एक चुनावी हथकंडा है। जहां तक हिंदी अकादमी का सवाल है तो वह तृणमूल कांग्रेस थी जिसने हिंदीभाषी लोगों को बाहरी कहा था। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि घोषणा तृणमूल कांग्रेस सरकार की हताशा को दर्शाती है।
चौधरी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने महसूस किया है कि केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण से काम नहीं चलेगा। इसलिए, उन्होंने हिंदू पुजारियों को सहायता देने का फैसला किया है। यह एक चुनावी हथकंडा है। हिंदू या मुस्लिमों के विकास में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। माकपा की केंद्रीय समिति सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस तरह की राजनीति राज्य में सांप्रदायिक विभाजन को और गहरा करेगी। (भाषा)
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