पत्थरबाजों के भेष में घुसे बहादुर सिपाही, भीड़ में ही असली पत्थरबाजों को धर दबोचा
जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों पर शिकंजा कसने के लिए सुरक्षाबलों ने एक नई रणनीति तैयार की है। इन पत्थरबाजों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों ने सादी वर्दी में अपने ही आदमी इनके बीच तैनात करने का फैसला किया है।
आतंक प्रभावित इस राज्य में सुरक्षाबलों और पत्थरबाजों में संघर्ष बहुत आम है। इसमें सुरक्षाबलों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अकसर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो जाते हैं और अचानक सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर देते हैं। सुरक्षाबलों का ध्यान इससे भटक जाता है और आतंकी आसानी से फरार हो जाते हैं। कई बार पत्थरबाजों की हरकत के चलते सुरक्षाबलों के जवानों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।
दरअसल, घाटी में अशांति फैला रहे इन पत्थरबाजों से निपटने के लिए पुलिस खुद 'पत्थरबाज' बन गई है। घाटी में पत्थरबाज सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। इस सिरदर्दी को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने कुछ जवानों को इनसे निपटने के लिए तैयार किया है। रणनीति के तहत ये जवान पत्थरबाजी कर रहे पत्थरबाजों के झुंड में भेष बदलकर घुस जाते हैं और असली पत्थरबाजों को दबोच लेते हैं।
इस तरह गिरफ्तार हुए दो पत्थरबाज : शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान भी जम्मू-कश्मीर पुलिस ने यही रणनीति अपनाई। शुक्रवार को नमाज के बाद हमेशा की तरह इस बार भी पत्थरबाजों ने सुरक्षाबलों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी शुरू की। लेकिन, इस बार रणनीति के तहत हिंसक प्रदर्शन के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भेष बदलकर पत्थरबाजों की भीड़ में शामिल हो गए और पथराव कर रहे दो पत्थरबाजों को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कि यह दोनों पत्थरबाज भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
सेना प्रमुख की पत्थरबाजों को चेतावनी : कश्मीर में लगातार बढ़ रही हिंसा के बीच पिछले दिनों सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पत्थरबाजों को चेतावनी देते हुए कहा था कि आप सेना से नहीं लड़ ही नहीं सकते। आपको कभी आजादी नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि पथराव करने और सुरक्षा बलों के साथ उलझने से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा।
भाड़े के पत्थरबाज : हाल ही में सहारनपुर के तीन युवाओं ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए कहा था कि कुछ लोग उन्हें नौकरी का झांसा देकर कश्मीर ले गए। वहां उन्हें प्रताड़ित किया गया और भारतीय जवानों पर पत्थरबाजी के लिए उकसाया गया। पत्थरबाजों के चंगुल से छूटकर आए इन तीनों युवकों ने इस मामले में पुलिस से शिकायत भी की थी।
महबूबा मुफ्ती ने दी थी राहत : तत्कालीन महबूबा सरकार ने पत्थरबाजी मामले में 9730 युवाओं को दी माफी देते हुए उन पर लगे केस वापस लिए थे। इससे इनके हसले और बुलंद हो गए।
पत्थरबाजी के पीछे आईएसआई : कुछ समय पहले आतंकियों के बीच हुई बातचीत से खुलासा हुआ था कि कश्मीर में पत्थरबाजी के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। आतंकियों के कब्जे से बरामद दस्तावेज भी इसकी पुष्टि करते थे कि आईएसआई घाटी के हालात को 1990 के दशक की ओर मोड़ना चाहती है।