जम्मू के वैष्णोदेवी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मामले पर मचा बवाल
मुस्लिम छात्रों के प्रवेश को लेकर भाजपा अब उपराज्यपाल के खिलाफ मैदान में
Vaishnodevi Medical College Case : प्रदेश में एक और मुद्दा कई सालों के बाद बवाल मचाने लगा है। वर्ष 2008 में अमरनाथ जन्मभूमि के मुद्दे के उपरांत पहली बार पूरा जम्मू वैष्णोदेवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों को दिए गए प्रवेश रद्द करने की खातिर एकजुट हो चुका है। ऐसे में कमान हाथों से खिसकते देख अब भाजपा भी इस बवाल में शामिल हो गई है। इस मामले पर मुस्लिम छात्रों के दाखिले रद्द करने की मांग को तेज करते हुए जम्मू के कई प्रमुख हिंदू धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों को एकत्र कर ट्रेड बाडीज और प्रभावशाली स्थानीय समूहों के साथ मिलकर श्री माता वैष्णोदेवी संघर्ष समिति का गठन किया है।
यह समिति करगिल युद्ध के वीर कर्नल सुखबीर सिंह मंकोटिया की अध्यक्षता में बनाई गई है। इसकी घोषणा सनातन धर्म सभा जम्मू कश्मीर के प्रधान दादीची ने एक पत्रकार वार्ता के दौरान की। समिति ने श्री माता वैष्णोदेवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम छात्रों को दिए गए प्रवेश रद्द करने के लिए एक संगठित अभियान शुरू करने की घोषणा की है।
समिति से जुड़े सदस्यों का कहना है कि यह मेडिकल संस्थान हिंदू श्रद्धालुओं के योगदान से स्थापित और संचालित होता है, इसलिए इसकी सीटें केवल हिंदू छात्रों के लिए आरक्षित होनी चाहिए। एक सदस्य के अनुसार, उनका तर्क है कि जब संस्थान हिंदू भक्तों के धन से बना है, तो लाभ भी हिंदू समाज को मिलना चाहिए। समिति ने जल्द ही एक कोर कमेटी बनाने की भी घोषणा की है, ताकि इस संघर्ष को आगे बढ़ाया जा सके।
संघर्ष समिति द्वारा बजाए गए बिगुल के उपरांत भाजपा की जम्मू कश्मीर यूनिट ने श्री माता वैष्णोदेवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में मुस्लिम स्टूडेंट्स के एडमिशन पर आधिकारिक रूप से आपत्ति जताई है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह अब इस आंदोलन में कूद चुकी है। भाजपा ने रियासी जिले में इस मुद्दे पर कई राइट-विंग ग्रुप्स के सड़कों पर विरोध प्रदर्शन के कुछ दिनों बाद अपनी चुप्पी तोड़ी है।
जम्मू कश्मीर असेंबली में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा की लीडरशिप में पार्टी का एक डेलीगेशन लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा से मिल चुका है और एक मेमोरेंडम सौंपा जा चुका है, जिसमें सुधारात्मक कार्रवाई और एडमिशन के नियमों की समीक्षा की मांग की गई।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब इंस्टीट्यूट की पहली एमबीबीएस सीट-एलोकेशन लिस्ट में 2025-26 एकेडमिक ईयर के लिए 50 के पहले बैच में 42 मुस्लिम स्टूडेंट्स दिखाए गए। कई हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया कि वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड से फंडेड एक इंस्टीट्यूशन को हिंदू रिप्रेजेंटेशन को प्रायोरिटी देनी चाहिए और मांग की कि कम्युनिटी-बेस्ड रिजर्वेशन को इनेबल करने के लिए इसको माइनारिटी इंस्टीट्यूशन घोषित किया जाए।
उधमपुर से विधायक, आरएस पठानिया ने एक्स पर पोस्ट किया कि वैष्णोदेवी तीर्थयात्रियों की 'भक्ति और चढ़ावे' से बने इंस्टीट्यूशन में मंदिर के लोकाचार को दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्री माता वैष्णोदेवी के श्रद्धालुओं की भक्ति और चढ़ावे से बने संस्थानों को मंदिर के पवित्र मूल्यों के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठाकर काम करना चाहिए। श्राइन बोर्ड एक्ट और यूनिवर्सिटी एक्ट में बदलाव अब जरूरी हैं।
दरअसल इस हफ्ते की शुरुआत में विरोध प्रदर्शन तब और बढ़ गया जब युवा राजपूत सभा, राष्ट्रीय बजरंग दल और मूवमेंट कल्कि के सदस्यों ने यूनिवर्सिटी तक मार्च किया और पुलिस द्वारा रोके जाने से पहले एक गेट जबरदस्ती खुलवाया। उनके नेताओं ने दावा किया कि सिर्फ सात हिंदुओं और एक सिख को एडमिशन दिया गया। उन्होंने इस बंटवारे को मंज़ूर नहीं किया और नए एडमिशन प्रोसेस पर जोर दिया।
इस साल श्राइन से फंडेड इस इंस्टीट्यूट को 50 एमबीबीएस सीटें मंजूर की गई थीं। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि एडमिशन मेरिट के आधार पर थे और जोर दिया कि इसको माइनारिटी का दर्जा नहीं दिया गया है और इसलिए वह किसी भी धर्म से जुड़ा रिजर्वेशन लागू नहीं कर सकता। प्रोटेस्ट करने वाले नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर श्राइन बोर्ड के चेयरमैन लेफ्टिनेंट गवर्नर सिन्हा ने तुरंत दखल नहीं दिया तो वे अपना आंदोलन और तेज कर देंगे।
Edited By : Chetan Gour