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Last Updated : शुक्रवार, 24 जुलाई 2020 (08:18 IST)

Railway के टिकटिंग सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव, जारी होंगे QR Code वाले टिकट

Railway के टिकटिंग सिस्टम में होगा बड़ा बदलाव, जारी होंगे QR Code वाले टिकट - Indian Railways plans to implement QR code based contactless ticket checking system
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए अपने समूचे यात्री टिकिटिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रही है। रेलवे की आरक्षण प्रणाली में आमूलचूल बदलाव करके आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस आधारित सिस्टम तैयार किया जा रहा है और स्पर्शरहित चेकिंग के लिए क्यूआर कोड आधारित टिकट प्रणाली लाई जा रही है। 

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने आज यहां संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आरक्षण की पीआरएस प्रणाली में आमूलचूल बदलाव किया जा रहा है। वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस के आधार पर टिकट आरक्षण व्यवस्था होगी जिससे लोगों को अधिक से अधिक कन्फर्म टिकट मिल सकेंगे। आरक्षण की संभावना आदि के बारे में भी पता लग सकेगा।
 
रेलवे की कंपनी क्रिस पीआरएस सिस्टम एवं सॉफ्वेयर को आधुनिक बना रही है। बदलाव होने के बाद किस ट्रेन में कितनी वेटिंग है और किस ट्रेन में कौन-कौन से क्लास में आरक्षण उपलब्ध है, यात्री बड़े आसानी से देख सकेंगे। इसी तरह आईआरसीटीसी के जरिए बन रहे ऑनलाइन टिकिटिंग को भी और ज्यादा सरल बनाने की तैयारी की जा रही है।

इसमें संबंधित स्टेशन का नाम डालते ही सभी गाडिय़ां और किस ट्रेन में सीट उपलब्ध है, उसका पूरा ब्योरा सामने आ जाएगा। सरल होने के बाद यात्री आराम से टिकट बना सकेगा।
 
उन्होंने यह भी बताया कि आरक्षित, अनारक्षित एवं प्लेटफार्म, हर प्रकार के टिकट क्यूआर कोड वाले जारी किए जाएंगे ताकि स्पर्शरहित (कांटेक्ट लेस) टिकट चेकिंग सिस्टम की शुरुआत की जा सके।

इसमें टीटीई यात्री के टिकट को हाथ में लेकर चेक करने की बजाय अपने मोबाइल फोन अथवा हैंडहेल्ड मशीन से स्कैन करके क्यूआर कोड के जरिए यात्री का पूरा ब्योरा चेक कर सकेगा।

ऑनलाइन टिकटों में क्यूआर कोड स्वत: सृजित होंगे और आरक्षण केंद्रों से टिकट बनवाने पर यात्रियों के मोबाइल पर एक लिंक आएगा, जिसे खोलने पर क्यूआर कोड नजर आएगा।
 
उन्होंने बताया कि रेलवे अब तक नौ क्षेत्रीय भाषाओं में टिकट जारी करना शुरू कर चुकी है। जल्द ही अन्य सभी भाषाओं में भी यह व्यवस्था शुरू हो जाएगी।
 
यादव ने बताया कि ट्रेन के चालकों को भी ऑटोमेटिक मोबाइल एप से जोड़ा जाएगा ताकि वे कांटेक्ट लेस ढंग से ड्यूटी ज्वाइन कर सकें और ड्यूटी से खाली हो सकें।

इसके अलावा मोबाइल ऐप के माध्यम से वे किसी भी असामान्य तकनीकी अथवा मानवीय गतिविधि के बारे में सूचित कर सकें। इससे सुरक्षा और रेल संरक्षा को सही करने में मदद मिलेगी। इसके लिए नया सॉफ्टवेयर ईजाद किया गया है।
 
उन्होंने बताया कि रेलवे का परिचालन डेढ़ साल के भीतर उपग्रह की निगरानी एवं नियंत्रण में आ जाएगा। उन्होंने कहा कि रेलवे के इंजनों को उपग्रह से संपर्क वाली तकनीक से जोड़ना शुरू कर दिया गया है।

वर्तमान में करीब 2700 इलेक्ट्रिक लोको इंजन एवं 3800 डीजल लोको इंजन की निगरानी सेटेलाइट के जरिए की जा रही है। आने वाले दिनों में दिसंबर 2021 तक बाकी 6000 ट्रेन के इंजनों (इलेक्ट्रिक एवं डीजल) की निगरानी एवं परिचालन आधुनिक तकनीक के जरिए ही की जाएगी।

इसके बाद समूचा रेल नेटवर्क उपग्रह के जरिए जुड़ जाएगा। फिर आसानी से ट्रेनों का पता लगाया जा सकेगा कि ट्रेन कहां पहुंची है और वर्तमान में क्या स्थिति होगी। इसके अलावा कोहरे के समय घंटों विलंब से चलने वाली ट्रेनों का भी खाका आसानी से तैयार किया जा सकेगा। (वार्ता)