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Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 (20:27 IST)

कनाडा ने भारत के प्रत्यर्पण संबंधी 26 में से सिर्फ 5 अनुरोधों को माना

कनाडा से लौटे भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने बताया

कनाडा ने भारत के प्रत्यर्पण संबंधी 26 में से सिर्फ 5 अनुरोधों को माना - Indian High Commissioner's statement on extradition requests
Khalistani terrorists Case : कनाडा ने खालिस्तानी आतंकवादियों के प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से भेजे गए 26 अनुरोधों में से केवल 5 का समाधान किया है और बाकी अब भी अधर में हैं। कनाडा में भारत के एक शीर्ष राजनयिक ने यह जानकारी दी है। राजनयिक ने इसे निष्क्रियता का परिणाम भी बताया है।
 
कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने इस सप्ताह बताया कि पांच आतंकवादियों को प्रत्यर्पित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि वह न तो नाम का खुलासा करने के लिए अधिकृत हैं, न ही विवरण देने के लिए। वर्मा का यह साक्षात्कार बुधवार को हुआ। वह कुछ दिन पहले ही नई दिल्ली लौटे हैं।
भारत ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 2023 में हुई हत्या की कनाडाई जांच में रुचि रखने वाले व्यक्ति के तौर पर ओटावा द्वारा नामित किए जाने के बाद वर्मा एवं पांच अन्य भारतीय राजनयिकों को वापस बुला लिया है। निज्जर कनाडाई नागरिक था।
 
कनाडा द्वारा वहां की लगभग आठ लाख की बड़ी सिख आबादी के बीच खालिस्तानी आतंकवादियों को मौन समर्थन दिए जाने के मुद्दे पर द्विपक्षीय संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। भारत ने कनाडा पर खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं करने का आरोप लगाया है। ये खालिस्तान समर्थक भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करना चाहते हैं।
 
उन्होंने कहा, मेरे पास जो आखिरी जानकारी थी, उसके अनुसार उनमें से पांच का समाधान हो चुका है। इक्कीस अब भी लंबित हैं और ये दशकों से लंबित हैं। इसलिए मैं कहूंगा कि यह निष्क्रियता है। सभी मुद्दे जो किसी देश की न्यायिक प्रणाली के तहत आते हैं, उनके लिए कभी-कभी परामर्श की आवश्यकता होती है, क्योंकि हम दो अलग-अलग न्यायिक प्रणालियों का अनुसरण करते हैं।
वर्मा ने कहा, लेकिन अगर पिछले चार-पांच या 10 वर्षों में कोई कार्रवाई नहीं हुई है, तो मैं इसे केवल निष्क्रियता ही कहूंगा। विदेश मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि 26 प्रत्यर्पण अनुरोध ऐसे लोगों के लिए हैं, जिन पर भारत में आतंकवाद और संबंधित अपराधों के आरोप हैं।
 
भारत ने कई आरोपियों की अस्थाई गिरफ्तारी की भी मांग की है, जो पारस्परिक कानूनी सहायता संधि के तहत कनाडा के पास लंबित है। मंत्रालय द्वारा नामित लोगों में गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल शामिल हैं।
 
भारत द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए निज्जर की पिछले साल 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजनयिक ने साक्षात्कार के दौरान विभिन्न मुद्दों पर बात की, जिनमें दोनों देशों की जनता के बीच लंबे समय से बाधित संबंध, कनाडा में खालिस्तानी समस्या की उत्पत्ति तथा इसके आंदोलन का केंद्र बनने की कहानी भी शामिल हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल सकती है, वर्मा ने कहा, मैं केवल यही चाहूंगा कि दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर हों। लेकिन यह बेहतर होना चाहिए, इसलिए नहीं कि हम इसे बेहतर बनाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि (हम) दोनों एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, दोनों एक-दूसरे को समझना चाहते हैं, दोनों एक-दूसरे की मूल चिंताओं को समझते हैं।
 
उन्होंने कहा कि भारत की मूल चिंता बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा, हमारे कनाडाई मित्रों को कई बार बताया गया है कि हमारी मुख्य चिंता वहां मौजूद भारत-विरोधी तत्व, खालिस्तानी चरमपंथी और आतंकवादी हैं, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देते रहते हैं। उन्हें (कनाडा को) कहीं न कहीं उनसे निपटना होगा।
 
उन्होंने बताया कि कनाडा में खालिस्तानी वहां के नागरिक हैं, न कि भारतीय नागरिक। उन्होंने कहा, इसलिए भारत का भविष्य क्या होगा, यह भारतीयों द्वारा तय किया जाएगा। विदेशी इसे तय नहीं करेंगे। वे (खालिस्तान समर्थक कनाडाई) भारतीय मूल के हैं, लेकिन हमारे लिए वे विदेशी हैं। विदेशियों को हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कभी कोई अधिकार न था, न है और न ही होगा।
भारतीय पहली बार 1900 के दशक की शुरुआत में जहाज से कनाडा पहुंचे थे। नस्ली भेदभाव और अलगाव का सामना करने के बावजूद, भारतीय नागरिक कनाडा में डटे रहे और अंततः वहां के नागरिक बन गए। अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार और पंजाब में एक अलग खालिस्तान राज्य को लेकर पनपे सिख उग्रवाद के बाद भारत से सिखों के कनाडा जाने की दूसरी लहर शुरू हुई।
 
वर्मा ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान प्रवासी सिखों को कनाडा की उदार कानूनी प्रणाली के कारण वहां शरण मिली। उन्होंने कहा, वे (प्रवासी सिख) कनाडा में अपना स्थाई निवास और वहां की नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम थे। उन्होंने बनावटी आधार पर कनाडा में शरण मांगी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour
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