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Last Modified: रविवार, 2 अगस्त 2020 (16:41 IST)

india-china border tension : चीन को भारत का कड़ा संदेश, टकराव वाले स्थानों से वापस बुलाए अपने सैनिक, कोर कमांडर स्तर की बातचीत जारी

india-china border tension : चीन को भारत का कड़ा संदेश, टकराव वाले स्थानों से वापस बुलाए अपने सैनिक, कोर कमांडर स्तर की बातचीत जारी - india china border tension armies of both countries to hold corps commander level talks
नई दिल्ली। भारतीय और चीनी सेना के शीर्ष कमांडरों के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों के जल्द पीछे हटने को सुनिश्चित करने के लिए रविवार को पांचवें चरण की बातचीत चल रही है।
 
सैन्य सूत्रों ने बताया कि 2 महीने के अंदर कोर कमांडर स्तर की यह पांचवें चरण की वार्ता है, जिसका लक्ष्य पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो इलाके में 5 मई को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के कारण सीमा पर उत्पन्न तनाव को खत्म करना है। बैठक के वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की तरफ मोलदो में पूर्वाह्न 11 बजे से शुरू होने का कार्यक्रम था।
 
सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से चीनी सैनिकों को पूरी तरह से यथाशीघ्र हटाने पर जोर देगा। इसके अलावा टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से भी सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी करने पर भी जोर देगा। कोर कमांडर स्तर की पिछली वार्ता 14 जुलाई को हुई थी, जो करीब 15 घंटे तक चली थी।
 
बातचीत में भारतीय पक्ष ने चीनी सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) को 'बहुत स्पष्ट' संदेश दिया था कि पूर्वी लद्दाख में पहले की स्थिति बरकरार रखी जाए और उसे इलाके में शांति बहाल करने के लिए सीमा प्रबंधन के संबंध में उन सभी प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिन पर परस्पर सहमति बनी है।
 
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को उसकी सीमा (लक्ष्मण रेखा) से अवगत कराया था और कहा था कि क्षेत्र में पूरी स्थिति में सुधार लाने की जिम्मेदारी मुख्यत: चीन पर है।
 
बातचीत के बाद सेना ने कहा कि दोनों पक्ष सैनिकों के 'पूरी तरह से पीछे हटने' को लेकर प्रतिबद्ध हैं। साथ ही कहा था कि प्रक्रिया 'जटिल' है और इसके 'लगातार प्रमाणीकरण' की जरूरत होगी।
 
सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना गलवान घाटी और टकराव वाले कुछ अन्य स्थानों से पहले ही पीछे हट चुकी है, लेकिन भारत की मांग के अनुसार पैंगोंग सो में फिंगर इलाकों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। भारत इस बात पर जोर देता आ रहा है कि चीन को फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस बुलाना चाहिए।
 
दोनों पक्षों के बीच 24 जुलाई को सीमा मुद्दे पर एक और चरण की कूटनीतिक बातचीत हुई थी। बातचीत के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते एवं प्रोटोकॉल के तहत एलएसी के पास से सैनिकों का जल्द एवं पूरी तरह पीछे हटना जरूरी है।
 
सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया 6 जुलाई को शुरू हुई थी, जिसके एक दिन पहले क्षेत्र में तनाव कम करने के तरीकों पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लगभग दो घंटे फोन पर बातचीत हुई थी।
 
रविवार की बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदरसिंह कर रहे हैं, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर, मेजर जनरल लियू लिन कर रहे हैं।
 
सूत्रों ने कहा कि बातचीत में मुख्य ध्यान पैंगोंग सो और देपसांग जैसे टकराव वाले स्थानों से ‘समयबद्ध और प्रमाणित किए जाने योग्य' पीछे हटने की प्रक्रिया के लिए रूपरेखा को अंतिम रूप देना और एलएसी के पास बड़ी संख्या में मौजूद सैनिकों तथा पीछे के सैन्य अड्डों से हथियारों की वापसी पर दिया जाएगा।
 
कोर कमांडर स्तर की पहली चरण की बातचीत 6 जून को हुई थी जब दोनों पक्षों ने गलवान घाटी से शुरू करते हुए गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के समझौते को अंतिम रूप दिया था।
 
हालांकि 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीनी पक्ष के सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन इस बारे में चीन द्वारा अब तक कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया गया है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक हताहत हुए थे।
 
गलवान घाटी घटना के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास किसी भी चीनी दुस्साहस का ‘करारा’ जवाब देने की 'पूरी छूट' दे दी।
 
सेना ने झड़पों के बाद सीमा के पास अग्रिम स्थानों पर हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिक भेजे। भारतीय वायुसेना ने भी प्रमुख हवाई सैन्य अड्डों पर वायु रक्षा प्रणालियों और अपने अग्रिम मोर्चे के कई लड़ाकू विमान एवं हमलावर हेलीकॉप्टर भेजे थे। (भाषा)
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