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Last Modified: रविवार, 7 अगस्त 2022 (18:25 IST)

LAC : चीन के साथ लगने वाली सीमाओं को फुलप्रूफ करने की तैयारी, AI आधारित Drone पर काम कर रहा HAL

LAC : चीन के साथ लगने वाली सीमाओं को फुलप्रूफ करने की तैयारी, AI आधारित Drone पर काम कर रहा HAL - hal hindustan aeronautics ltd developing long endurance drone for vigil over lac line of actual control
नई दिल्ली। चीन के साथ लगने वाली सीमाओं को फुलप्रूफ करने की तैयारी है। हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित बहु-भूमिका वाला उन्नत ड्रोन विकसित करने पर काम कर रहा है, जो लंबे समय तक संचालन में सक्षम होगा। सूत्रों के अनुसार इस ड्रोन का उपयोग चीन के साथ लगती सीमाओं सहित अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रणनीतिक अभियानों के लिए किया जाएगा।
 
उन्होंने बताया कि इस ‘रोटरी-विंग’ ड्रोन में मिसाइल और सेंसर सहित 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता होगी और इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सटे पहाड़ी क्षेत्रों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सशस्त्र बलों की आवश्यकता के मद्देनजर विकसित किया जा रहा है।
 
सूत्रों ने बताया कि एचएएल ने अगले साल के मध्य तक मानवरहित विमान (यूएवी) की पहली परीक्षण-उड़ान आयोजित करने का लक्ष्य रखा है और परियोजना के पहले चरण में 60 ऐसे ड्रोन का प्रोडक्शन करने की योजना है।
 
उन्होंने कहा कि लंबे समय चलने में सक्षम ड्रोन कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस होंगे और सशस्त्र बल आवश्यक आपूर्ति के परिवहन सहित अन्य उद्देश्यों के लिए इसका उपयोग कर पाएंगे।
एक सूत्र ने कहा कि ड्रोन को इस तरह से विकसित किया जा रहा है कि यह सेंसर, मिसाइल और कई अन्य हथियारों सहित महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों को ले जा सकता है।
 
इसके अलावा एचएएल एक महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत इजरायली हेरॉन टीपी ड्रोन के उत्पादन की संभावना भी तलाश रहा है, जिसमें ड्रोन निर्माता कंपनी का सहयोग लिया जाएगा।
 
सूत्र ने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य हमारे सशस्त्र बलों के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति की आवश्यकता को संबोधित करना है। मध्यम ऊंचाई वाले हेरॉन ड्रोन 35,000 फुट की ऊंचाई पर लगभग 45 घंटे तक संचालन करने में सक्षम हैं।
 
एचएएल, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ दो अलग-अलग ड्रोन परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है। सेना अगले कुछ वर्षों में बड़ी संख्या में ड्रोन हासिल करने की योजना बना रही है ताकि उनकी निगरानी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सके, विशेष रूप से एलएसी और हिन्द महासागर क्षेत्र में चीनी गतिविधियों की निगरानी के मद्देनजर इस कदम को काफी अहम माना जा रहा है। (इनपुट एजेंसी)
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