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Last Updated : शनिवार, 30 जुलाई 2022 (21:19 IST)

बाड़मेर में शहीद हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितीय बल को नम आंखों से दी विदाई

बाड़मेर में शहीद हुए फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितीय बल को नम आंखों से दी विदाई - Farewell with moist eyes to the flight lieutenant Advitiya bal force who was martyred in Barmer
जम्मू। बाड़मेर में वायुसेना के मिग-21 विमान हादसे में शहीद आरएस पुरा निवासी फ्लाइट लेफ्टिनेंट अद्वितीय बल (26) का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो तिरंगे में लिपटे शव को देखकर गांव में सभी की आंखें नम हो गईं। उनकी मां, दादी, परिवार के अन्य सदस्य और मोहल्‍लावासी बिलख-बिलख कर रोने लगे। उनके घर पहुंचे हजारों लोगों ने भारत माता की जय और अद्वितीय बल जिंदाबाद के नारे लगाए।

जैसे ही वायुसेना के जवान राष्ट्रीय ध्वज से सजे अद्वितीय बल का पार्थिव शरीर गांव में लेकर पहुंचे वातावरण में अद्वितीय बल अमर रहें के नारे गूंजने लगे। हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर सड़क किनारे खड़े युवा भारत माता की जय के नारे भी बुलंद कर रहे थे।

वीर अद्वितीय के अंतिम दर्शनों के लिए हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों की आंखे नम थीं। जैसे ही अद्वितीय का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा उनकी मां, दादी, परिवार के अन्य सदस्य और मोहल्‍लावासी बिलख-बिलख कर रोने लगे। अंतिम रस्मों को पूरा कर लिया गया है। बलिदानी अद्वितीय का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया गया। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए राजनीतिक, सामाजिक व प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे थे।

विलाप में डूबी मां कहती रही ‘मेरा बच्चा चला गया, मुझे भी नहीं जीना’। परिवार के अन्य सदस्यों का भी रो-रो कर बुरा हाल है। अद्वितीय बल का छोटा भाई हर्षित बल इंजीनियर है। दादा व दादी पोते की तस्वीर हाथों में लेकर इस हादसे के चलते दुखी हैं।

परिवार के सदस्यों ने बताया कि 16 जुलाई को अद्वितीय बल का जन्मदिन था। उस दिन भी बात हुई थी और अगस्त के पहले सप्ताह छुट्टी पर आने के लिए कहा था, लेकिन भगवान को कुछ और ही मंजूर था। अद्वितीय ने सैनिक स्कूल नगरोटा में कक्षा छह में दाखिला लिया था। पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 2014 में एनडीए की परीक्षा पास की और वर्ष 2018 में अद्वितीय फ्लाइंग ऑफिसर बने।

अद्वितीय के मोहल्‍ले में रहने वाले 23 वर्षीय मुकेश कुमार ने बताया कि जिंदड़ मेहलू के सभी युवा अद्वितीय की बहुत इज्जत करते हैं। वे हम सबके लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके मन में देशसेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। यही वजह थी कि उन्‍होंने भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत व पढ़ाई की और सफलता भी हासिल की।