राज्यसभा से इस्तीफा देना चाहते थे दिनेश त्रिवेदी, क्या बोले उपसभापति हरिवंश...
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के नेता और पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने पश्चिम बंगाल में हिंसा और घुटन का हवाला देते हुए शुक्रवार को राज्यसभा में अपनी सदस्यता से त्यागपत्र देने की घोषणा की, हालांकि आसन की तरफ से उनकी इस पेशकश को यह कहकर अस्वीकार कर दिया गया कि इसके लिए उन्हें समुचित तरीका अपना पड़ेगा।
उच्च सदन में बजट चर्चा के दौरान आसन की अनुमति से त्रिवेदी ने कहा कि हर मनुष्य के जीवन में एक ऐसी घड़ी आती है जब उसे अंतरात्मा की आवाज सुनाई देती है। मेरे जीवन में भी यह घड़ी आ गई है। उन्होंने कहा कि मैं यहां बैठकर सोच रहा था कि हम राजनीति में क्यों आते हैं? देश के लिए आते हैं..देश सर्वोपरि होता है।
त्रिवेदी ने कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तब भी उनके जीवन में ऐसी घड़ी आई थी जिसमें यह तय करना पड़ा था कि देश बड़ा है, पक्ष बड़ा है या खुद मैं बड़ा हूं।
तृणमूल सदस्य ने कहा, 'जिस प्रकार से हिंसा हो रही है, हमारे प्रांत में...मुझे यहां बैठे-बैठे लग रहा है कि मैं करूं क्या? हम उस देश (राज्य) से आते हैं जहां से रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, खुदीराम आते हैं।'
उन्होंने उच्च सदन में इसी सप्ताह नेता प्रतिपक्ष के विदाई भाषण के दौरान आजाद और उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावुक हो जाने के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा, 'असल में हम जन्मभूमि के लिए ही हैं और कुछ नहीं। मुझसे देखा नहीं जा रहा कि मैं करूं तो क्या करूं। एक पार्टी से बंधा हूं। मैं अपनी पार्टी का आभारी हूं कि उसने मुझे यहां (राज्यसभा में) भेजा।'
त्रिवेदी ने कहा, 'मगर अब मुझे घुटन हो रही है। उधर अत्याचार हो रहे हैं... मुझे मेरी अंतरात्मा की आवाज यह कह रही है कि यदि आप यहां बैठकर चुपचाप रहो... इसके बजाय यहां से त्यागपत्र देकर बंगाल चले जाओ और लोगों के साथ काम करो।'
उन्होंने कहा, 'मैं आज यहां से त्यागपत्र दे रहा हूं तथा देश एवं बंगाल के लिए जिस प्रकार काम करता रहा हूं, आगे भी करता रहूंगा।'
इस पर उपसभापति हरिवंश ने त्रिवेदी से कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते हैं क्योंकि ऐसा करने के लिए उन्हें एक समुचित प्रक्रिया अपनानी पड़ेगी। उन्हें इस बारे में सभापति से बात करनी चाहिए।
त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में तीन अप्रैल 2020 को उच्च सदन के सदस्य बने थे और उनका वर्तमान कार्यकाल 2 अप्रैल 2026 तक है। UPA शासनकाल में त्रिवेदी रेलमंत्री थे और उन्होंने 2012 में रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। (भाषा)