चक्रवाती तूफान 'महा' के कमजोर पड़ने के बाद अब बंगाल की खाड़ी में ऐसा ही एक और तूफान बन रहा है, जिसे 'बुलबुल' नाम दिया गया है। ओडिशा में इस समय 'बुलबुल' का खौफ लोगों के बीच दिख रहा है, क्योंकि अभी कुछ महीने पहले ही ओडिशा ने तूफान 'फानी' को झेला था।
खबरों के मुताबिक, भारत के 3 तरफ समुद्री किनारे हैं। इन्हीं किनारें पर इस समय भयानक चक्रवाती तूफान 'बुलबुल' तेजी से भयावह रूप लेता नजर आ रहा है। इससे 5 दिन पहले ही चक्रवाती तूफान 'क्यार' खत्म हुआ है। मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि ऐसा पहली बार ही हो रहा है, जब एक के बाद एक लगातार 3 तूफान बने। यह तूफान ओडिशा या पश्चिम बंगाल में किस स्थल से टकराएगा, फिलहाल यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।
बंगाल की खाड़ी में बन रहे नए तूफान 'बुलबुल' के 10 नवंबर तक अत्यधिक गंभीर बनने की आशंका जताई गई है। अभी यह पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप से 930 किलोमीटर, ओडिशा के पारादीप से 820 किलोमीटर और अंडमान के माया बंदर से 370 किलोमीटर दूर है। अगले 36 घंटों में यह चक्रवाती तूफान का रूप ले लेगा।
अगर ये ज्यादा भयावह रूप लेता है तो इसकी वजह से महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा पर सीधा असर पड़ेगा। आज और कल यानी 8 नवंबर को अरब सागर में तेज लहरें उठने की संभावना है। गुजरात और महाराष्ट्र के मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है। गुजरात के सौराष्ट्र, जूनागढ़, गिर, सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, सूरत, भरूच, आणंद, अहमदाबाद, बोताड़, पोरबंदर व राजकोट में हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 129 साल में तीसरी बार ऐसा होगा, जब दशक में सबसे ज्यादा 99 तूफान बने। इससे पहले 1970 से 1979 के दशक में 110 और 1960 से 1969 के दशक में 99 तूफान बने थे। ओडिशा के बालासोर, भद्रक, केंद्रपाड़ा, जगतसिंहपुर, गंजम, पुरी, गजपति, कोरापुट, रागगढ़ा, नबरंगपुर, कालाहांडी, कंधमाल, बौध, नौपाड़ा और मलकानगिरि जिलों को अलर्ट पर रखा गया है। करीब 6 महीने पहले 3 मई को आए इसी तरह के चक्रवाती तूफान 'फोनी' से तटीय ओडिशा में भारी तबाही मची थी जिसमें करीब 64 लोगों की मौत हो गई थी।