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Last Updated : मंगलवार, 7 मई 2024 (17:08 IST)

हनुमानजी को सहवादी बनाने पर कोर्ट ने लगाया 1 लाख का जुर्माना, क्या है मामला?

वादी ने कब्जा पाने के लिए मुकदमा दायर किया था

हनुमानजी को सहवादी बनाने पर कोर्ट ने लगाया 1 लाख का जुर्माना, क्या है मामला? - Court imposed fine of Rs 1 lakh for making Hanumanji co-partner
Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने उस व्यक्ति पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है जिसने भगवान हनुमान (Hanumanji) के मंदिर वाली एक निजी भूमि पर कब्जे के संबंध में एक याचिका में उन्हें भी सहवादी बनाया है। याचिका किसी अन्य पक्ष को भूमि के हस्तांतरण के संबंध में उनकी आपत्ति याचिका को खारिज करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील के रूप में दायर की गई थी।
 
न्यायमूर्ति अपील को किया खारिज : याचिका में दावा किया गया था कि चूंकि संपत्ति पर एक सार्वजनिक मंदिर है इसलिए जमीन भगवान हनुमान की है और अपीलकर्ता अदालत के समक्ष उनके निकट मित्र और उपासक के रूप में उपस्थित है। इसे संपत्ति को कब्जाने के इरादे से सांठगांठ का मामला बताते हुए न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने अपील को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि अपीलकर्ता व्यक्ति ने जमीन के मौजूदा कब्जाधारकों के साथ मिलीभगत की ताकि एक अन्य पक्ष को मुकदमे के बाद दोबारा कब्जा हासिल करने से रोका जा सके।
 
वादी ने कब्जा पाने के लिए मुकदमा दायर किया : अदालत ने 6 मई को पारित आदेश में कहा कि प्रतिवादियों (मौजूदा कब्जाधारकों) ने वादी (अन्य पक्ष) की जमीन पर कब्जा कर लिया। वादी ने कब्जा पाने के लिए मुकदमा दायर किया था। अंतत: प्रतिवादियों ने वादी से जगह खाली करने के लिए 11 लाख रुपए मांगे। उन शर्तों पर फैसला सुनाया गया। इसके बाद वादी ने वास्तव में 6 लाख रुपए का भुगतान किया लेकिन प्रतिवादियों ने फिर भी जमीन खाली नहीं की।
 
अदालत ने कहा कि वादी ने निष्पादन के लिए आवेदन किया। निष्पादन में वर्तमान अपीलकर्ता, जो तीसरा पक्ष है, ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज की कि जमीन पर भगवान हनुमान का सार्वजनिक मंदिर है और इसलिए वह भूमि भगवान हनुमान की है और वह भगवान हनुमान के निकट मित्र के रूप में उनके हित की रक्षा करने का हकदार है।
 
अदालत ने कहा कि जनता के पास निजी मंदिर में पूजा करने का अधिकार होने की कोई अवधारणा नहीं है, जब तक कि मंदिर का मालिक ऐसा अधिकार उपलब्ध नहीं कराता या समय बीतने के साथ निजी मंदिर सार्वजनिक मंदिर में तब्दील नहीं हो जाता।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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