बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में ज्योर्तिलिंग महाकाल के दर्शन के लिए और यहां की बेहद अहम माने जाने वाली भस्म आरती में शामिल होने के लिए रोजाना लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। देश के तमाम राज्यों से आने वाले महाकाल राजा के भक्त इस आस्था के यहां पहुंचते हैं कि उन्हें बाबा की भस्म आरती का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा, लेकिन यहां महाकाल दर्शन घोटाला भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचा रहा है। आए दिन महाकाल के दर्शन में भेदभाव और भस्म आरती में हो रही अव्यवस्था को लेकर खबरें सामने आ रही हैं। हैरान करने वाली बात है कि मंदिर समिति से जुड़े लोग ही कुछ स्थानीय पत्रकारों के साथ मिलकर दर्शन और भस्म आरती के घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस ने अब तक 10 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है।
परेशान हो रहे लोग : भस्म आरती में तो आम लोगों के ठीक से दर्शन तो दूर गर्भगृह के सामने पहुंचने पर वहां न बैठने की और न ही खड़े रहने की जगह मिलती है। हालत यह है कि श्रद्धालुओं को जहां पैर रखने की जगह मिलती है, वहीं खड़े होकर जैसे तैसे भस्म आरती का लाभ लेना पड़ रहा है। इस बीच वहां बैठने और खड़े रहने को लेकर कई बार विवाद होते हैं। कई बार भक्तों और व्यवस्थापकों के बीच तीखी बहस और विवाद होते हैं। आस्था से सराबोर भक्तों को इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है कि उनका मोह ही भंग हो जाता है।
भस्म आरती प्रभारी ही धांधली में शामिल : हालत यह है कि महाकाल मंदिर समिति के प्रभारी ही इस पूरी धांधली में शामिल होकर अंजाम दे रहे थे। जब कई बार शिकायतें हुईं तो कुछ लोगों पर जांच के दायरे में लिया गया। अब तक कुल 8 आरोपी इस मामले में धराए गए हैं। मंगलवार को ही दर्शन और भस्मआरती घोटाले के मामले में आठवें आरोपी भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा ने महाकाल थाने पहुंचकर सरेंडर किया है। वहीं, पहले से रिमांड पर लिए प्रोटोकॉल प्रभारी अभिषेक भार्गव को कोर्ट ने जेल भेज दिया। अब मामले में कुल आठ आरोपी पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं। टीआई नरेंद्र सिंह परिहार के मुताबिक आरोपियों से पूछताछ में भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा की बड़ी भूमिका सामने आई है, जो गिरफ्तार हो चुका है। उसकी गिरफ्तारी के बाद और भी कई सच सामने आएंगे। दूसरी ओर एक दिन के रिमांड के बाद प्रोटोकॉल प्रभारी अभिषेक भार्गव को न्यायालय में पेश किया गया था, जहां से उसे केंद्रीय भैरवगढ़ जेल पहुंचा दिया गया है।
कुछ नहीं कहना चाहते कलेक्टर : इस पूरे मामले में जब
वेबदुनिया ने उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह से चर्चा करने के लिए फोन लगाया तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता। यह कहते हुए उन्होंने फोन काट दिया।
भस्म आरती में अव्यवस्थाएं
1800 की क्षमता, 2500 को परमिशन : दरअसल, यह सब होता है क्षमता से ज्यादा श्रद्धालुओं को भस्म आरती के लिए परमिशन देने की वजह से। नंदी हॉल के सामने अलग अलग बालकनी में जहां लोग बैठकर या खड़े होकर दर्शन करते हैं वहां 1800 लोगों के बैठने की क्षमता है, लेकिन यहां रोजाना 2 हजार से 2500 भक्तों को भस्म आरती की परमिशन मिलती है। जिससे सारी व्यवस्था बिखर रही है। इस बारे में चर्चा करने के लिए महाकाल मंदिर प्रशासन समिति के पूर्व प्रशासक
गणेश धाकड़ को कई बार कॉल किया गया लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाया। बता दें कि उन्हें कुछ ही दिन पहले समिति से हटाया गया है।
क्या बताया भक्तों ने : जब पहुंचे तो आरती शुरू हो चुकी थी: भुवनेश्वर से आईं सारिका सिंह ने बताया कि वे बेहद मन से यहां आई थी। भस्म आरती की परमिशन मिलने के बाद वे बेहद उत्सुक थीं। हमें 13 दिसंबर की रात 2 बजे मानसरोवर गेट से पंक्ति में लगना था, लेकिन हम सुविधा को ध्यान में रखते हुए 1 बजे ही पहुंच गए थे। बावजूद इसके हम सुबह साढे 4 बजे श्रीमहाकाल के सामने पहुंचे, जब हम पंक्ति में थे तभी आरती शुरू हो चुकी थी। जब हम वहां पहुंचे तो इतनी ज्यादा भीड़ थी कि हमें सीधे दर्शन नहीं हो सके। न बैठ सके और न ही ठीक से खड़े रह सके। करीब पौन घंटे तक बमुश्किल हमने टीवी स्क्रीन पर भस्म आरती का लाभ उठाया।
स्क्रीन पर देखना पड़ी भस्म आरती : भोपाल से आए एक भक्त
गौतम कुमार ने बताया कि भस्म आरती के हॉल में कैपेसिटी से ज्यादा लोग नजर आ रहे थे। जब हमारा नंबर आया तब तक पूरा हॉल पहले से खचाखच भर चुका था। पहले से हॉल भर चुका था। बहुत मुश्किल से खड़े रहने की जगह मिली। स्क्रीन पर ही आरती देखना पड़ी। परमिशन कार्ड पर 2 बजे से एंट्री थी, लेकिन 12 बजे पहुंचने वालों को भी सीधे दर्शन नहीं हो सके।
कई बार हुए विवाद : कर्नाटक से आए
वैंकटेश ने बताया कि पंक्ति में कई बार लोगों में आगे निकलने को लेकर विवाद होते रहे। कई बार भक्तों और व्यवस्थापक में विवाद हुए। उन्होंने बताया कि रात को डेढ़ बजे से सुबह 4 बजे तक हमें हॉल में बैठाया गया। जब लाइन में लगकर वहां पहुंचे तो आरती शुरू हो चुकी थी।
भक्तों का हो रहा मोह भंग : बता दें कि उज्जैन में महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन शहर पूरे देश में आकर्षण का केंद्र बन गया है। लेकिन इसके साथ ही यहां हर जगह व्यवसायीकरण (कमर्शियलाइजेशन) हो गया है। दर्शन से लेकर भस्म आरती और पूजा सामग्री, प्रसाद और अन्य तरह के उत्पाद बेचने वालों और पार्किंग लगाने आदि में होड़ सी मची है, जिसके चलते यहां बाहर से आने वाले यात्री बुरी तरह से परेशान होते हैं। जिस आस्था के साथ वे यहां पहुंचते हैं, उतनी जल्दी भक्तों का मोह भंग हो रहा है। यहां से भी ज्यादा खराब हालात तो काल भैरव और गढ़ कालिका मंदिर में हो रहे हैं।
अभी कैसे मिलती है भस्म आरती की परमिशन: अब ऑनलाइन भस्म आरती करने वालों के लिए तीन महीने पहले लिंक खुल दी जाती है। जो भी श्रद्धालु फॉर्म जमा करता, उसे एक रिफरेंस नंबर अलॉट होता है। एक दिन बाद श्रद्धालु के पास कन्फर्मेशन लिंक जाती, इस लिंक को खोलकर फील करके प्रति व्यक्ति 200 रुपए जमा कर अपनी बुकिंग करवा सकता है। बुकिंग कन्फर्म होते ही उसके मोबाइल नंबर पर परमिशन का मैसेज आ जाता है। इसके बाद भक्त को दिए गए समय पर महाकाल परिसर में पंक्ति में लगने के लिए जाना होता है।
रोजाना डेढ़ लाख श्रद्धालु आ रहे उज्जैन : पिछले कुछ समय में उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। पहले यहां आने वालों की संख्या हजारों में थी, अब यहां रोजाना करीब डेढ़ लाख लोग पहुंच रहे हैं।
दान बढ़ा, पर व्यवस्था नहीं : बता दें कि महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन महाकाल मंदिर में पूरे देश से आने वाले भक्तों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। भक्तों की संख्या से महाकाल में दान पेटी भी लबालब हो गई है। बता दें कि इस साल महाकालेश्वर मंदिर में 1 अरब 65 करोड़ का दान मिला है। यह दान 1 जनवरी 2024 से 13 दिसंबर 2024 के बीच बाबा महाकाल के श्रद्धालुओं ने मंदिर में दान किया। लेकिन बावजूद इसके यहां व्यवस्थाएं उस हिसाब से नहीं हो सकीं हैं, जिस तादात में लोग यहां आ रहे हैं।
महाकाल में कहां से कितनी आय : महाकाल में होने वाली आय के कई सोर्स हैं। इसमें न केवल नकदी राशि बल्कि सोना-चांदी भी शामिल है। समिति को दान में पूरे साल में 399 किलो चांदी जिसकी कीमत 2 करोड़ 42 लाख 803 रुपए है। 1533 ग्राम सोना जिसकी कीमत 95 लाख 29 हजार 556 रुपए है प्राप्त हुआ है। समिति प्रतिदिन 40 क्विंटल से अधिक लड्डू बनाती है। पूरे साल में इन लड्डुओं से 53 करोड़ 50 लाख 14 हजार 552 रुपए की आय हुई।
महाकाल मंदिर समिति को वर्ष 2024 में हुई आय
भेंट पेटियां : 43 करोड़ 85 लाख 20 हजार 718 रुपए
शीघ्र दर्शन : 48 करोड़ 99 लाख 80 हजार 551 रुपए
भस्म आरती से बुकिंग : 90 लाख 90 हजार 600 रुपए
अभिषेक : 5 करोड़ 92 लाख 86 हजार 976 रुपए
अन्नक्षेत्र : 12 करोड़ 32 लाख 7 हजार 602 रुपए
धर्मशाला बुकिंग : 5 करोड़ 90 लाख 6 हजार 644 रुपए
फोटोग्राफी मासिक शुल्क से आय : 7 लाख 73 हजार 949 रुपए
भांग एवं ध्वजा बुकिंग : 7 लाख 92 हजार
उज्जैन दर्शन बस सेवा : 7 लाख 27 हजार 057 रुपए
अन्य आय : 23 करोड़ 96 लाख 7 हजार 891 रुपए
कुल आय : 1 अरब 12 करोड़ 31 लाख 85 हजार 988 रुपए